श्रम विभाग ने वर्ष 2020-21 में 839 भवनों तथा इससे पहले 2952 भवनों यानी कुल 3791 मकानों का सर्वे किया। इनमें से 3565 भवन मालिकों को नोटिस देकर नक्शा, लेआउट व प्लान मांगा गया। कागजात विभाग में दिखाने के बाद भवन निर्माण लागत का निर्धारण किया गया।
श्रम उपायुक्त प्रदीप कुमार झा ने बताया कि वर्ष 20-21 में नोटिस दिए गए 726 में से 69 भवन मालिकों ने 46.78 लाख रुपए उपकर जमा कराया है। इससे पहले दिए नोटिस 2839 में से 341 भवन मालिकों ने 3 करोड़ 57 लाख रुपए जमा कराए है। अभी तक 410 भवन मालिकों ने 403.78 लाख रुपए लेबर सेस जमा कराया है।
भवन मालिक नोटिस को लेकर लेबर सेस का विरोध कर रहे है। भवन मालिकों का कहना है कि जब से भवन बना तब से अब तक लेबर सेस पर 24 प्रतिशत ब्याज व पेनल्टी वसूली जा रही है। भवन मालिक ब्याज व पेनल्टी क्यों जमा कराए। पहले निगम व यूआईटी ने सर्वे नहीं किया और अब श्रम विभाग सर्वे कर रहा है तो इसमें भवन मालिकों की गलती नहीं है। इसके विरोध में कोटा व्यापार महासंघ व हॉस्टल संचालकों ने श्रम उपायुक्त व लोकसभा अध्यक्ष को भी ज्ञापन दिया है।