लेबर सेस का मामला तो भवन मालिकों के नोटिस के बाद समझ में आ गया, लेकिन सेस पर 24 प्रतिशत ब्याज व पेनल्टी लगाने से लोग आर्थिक व मानसिक पीड़ा झेल रहे हैं, क्योंकि सेस में ब्याज व पेनल्टी जोडऩे के बाद यह राशि पांच गुना तक बढ़ गई है। भवन मालिकों का कहना है कि दस साल तक लेबर सेस वसूलने के मामले को जिन अधिकारियों ने ठंडे बस्ते में डाले रखा, उन अधिकारियों से ब्याज, पेनल्टी वसूली जानी चाहिए। आमजन से ब्याज नहीं वसूलना चाहिए।
भवन मालिक विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि पहले तो विभाग ने इसका प्रचार-प्रसार नहीं किया तो भवन मालिकों को लेबर सेस के बारे में जानकारी ही नहीं है। वहीं लेबर सेस पर 24 प्रतिशत ब्याज व पेनल्टी भवन मालिक चुकाने की स्थिति में नहीं है। भवन मालिक आलोक शर्मा ने बताया कि श्रम विभाग की ओर से एक साथ लेबर सेस के नोटिस थमाए गए। इससे पहले किसी भी भवन मालिक को यह पता नहीं था कि लेबर सेस भी भवन मालिकों पर सरकार ने लागू कर रखा है।लोगों ने कहा, जब नगर निगम व यूआईटी से निर्माण स्वीकृति ली तो भवन मालिकों को लेबर सेस के बारे में जानकारी क्यों नहीं दी गई।
ब्याज व पेनल्टी माफ की जाए
कोटा व्यापार महासंघ अध्यक्ष क्रांंति जैन ने बताया कि लेबर सेस के बारे में लोगों को पता तक नहीं और अधिकारी अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए धड़ाधड़ नोटिस निकाल रहे हैं। महासंघ की ओर से राज्य व केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है कि आमजनता पर उपकर तो लागू कर दिया, लेकिन इसकी जानकारी आमजन को क्यों नहीं दी गई। ऐसे में ब्याज व पेनल्टी माफ की जाए। हॉस्टल संचालकों की कोरोना काल में ऐसी हालत हो गई कि बिजली का बिल भी जमा नहीं करवा पा रहे तो ब्याज व पेनल्टी कहां से जमा कराएंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि सरकार ने इस पर शीघ्र कोई निर्णय नहीं लिया तो कोटा की जनता एक साथ मिलकर इस लड़ाई को लड़ेगी।