श्रमिक कालूराम ने कहा कि घर में बच्चे व बुजुर्ग अकेले हैं। वे न जाने किस हाल में होंगे। यहां हम खेतों में रहने को मजबूर हैं। फसल कटाई कर जो थोड़ा बहुत कमाया था वह खाने-पीने में खर्च हो गया। यहां कोई मजदूरी भी नहीं मिल रही। सरवर आमली पाड़ा निवासी श्रमिक रमेश ने कहा कि सरकार ने जैसे विद्यार्थियों को उनके घर भेजा वैसे ही हमें भेजने की व्यवस्था करे तो राहत मिले। राजाराम, रमेश, कालूराम, विजयराम सहित अन्य श्रमिकों का कहना है कि पंचायत प्रशासन या अन्य किसी भी कर्मचारी ने उनकी सुध नहीं ली। हालांकि कुछ किसानों ने उनके लिए राशन की व्यवस्था की।