कोटा

यात्री सुविधाएं देना तो दूर, खामियों से भरा पड़ा है नयापुरा बस स्टैण्ड

अव्यवस्थाओं से भरा पड़ा है नयापुरा बस स्टैण्ड। गंदगी, दुर्गंध, जर्जर सड़क जिधर नजर दौड़ाओं खामियां ही खामियां।

कोटाNov 01, 2017 / 12:38 pm

ritu shrivastav

नयापुरा बस स्टैण्ड

डीसीएम रोड स्थित नया बस स्टैण्ड शुरू होने के बाद भी कोटा आगार प्रबंधन ने नयापुरा स्थित पुराने बस स्टैण्ड को संचालित कर रखा है। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम ने नए बस स्टैण्ड से चलने वाली बसों को नयापुरा बस स्टैण्ड से यात्री लेने व उतारने के निर्देश दे रखे हैं, लेकिन नयापुरा बस स्टैण्ड पर यात्री सुविधा का ध्यान नहीं रखा जा रहा। साथ ही, बसों के संचालन में भी अनियमितता बरती जा रही है। बस स्टैण्ड परिसर में फैली अव्यवस्थाओं से यात्री, दुकानदार, कर्मचारी, चालक व परिचालकों तक को परेशानी उठानी पड़ रही है।
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बस संचालन में अनियमितता

रोडवेज प्रबंधन की ओर से इस बस स्टैण्ड पर बसों के संचालन में भी अनियमितता बरती जा रही है। सभी बसों को स्टैण्ड में अन्दर आकर यात्रियों को लेना व छोडऩा होता है, लेकिन कई बसें बाहर से ही सवारियां लेकर आगे निकल जाती हैं। ऐसे में अन्दर बैठे यात्रियों की बसें छूट जाती हैं। उन्हें मजबूरन टुकड़ों में यात्रा करनी पड़ती है। बस स्टैण्ड के चारों ओर बनी सड़क जर्जर हो चुकी है। सीसी सड़क उखड़ चुकी है। चारों ओर गिट्टी फैली हुई है। एेसे में वाहनों के टायर गिट्टी उछलने से यात्रियों के चोटिल होने का अंदेशा रहता है। सड़क पर पानी भरा हुआ है।
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चारों ओर गंदगी व दुर्गंध, पेयजल नदारद

यहां बने महिला व पुरुष शौचालय की नियमित सफाई नहीं होने से वातावरण में दुर्गंध उठती रहती है। एेसे में पुरुष बस स्टैण्ड की दीवार के सहारे ही लघुशंका से निवृत्त होते हैं। यहां चारों ओर गंदगी व कचरा फैला रहता है। उसमें आवारा मवेशी मुंह मारते फिरते हैं। यहां स्थित प्रतीक्षालय भी गंदा है। दीवार पान-गुटखों की पीक से बदरंग हो चुकी हैं। इसी तरह से पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है। पेयजल के लिए लगे नल उखाड़े हुए हैं। मजबूरन यात्रियों को बोतलबंद पानी ही लेना पड़ता है।
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परेशानी इन्हें ये भी…

बस चालक बाबूलाल का कहना है कि जयपुर सिंधी कैम्प, झालावाड़ बस स्टैण्ड, नए बस स्टैण्ड पर बसों के घूमने की पर्याप्त जगह है, लेकिन यहां बसें खड़ी करने तक की जगह नहीं मिलती। लम्बे समय से सड़क उखड़ी हुई है। टायर से गिट्टी उछलने पर हादसे का अंदेशा रहता है। दुकानदार लक्की ने बताया कि बस स्टैण्ड भवन की सफाई तो रोजाना होती है, लेकिन धुलाई सालभर भी नहीं होती। कचरे व गंदगी के बीच ही दुकानदारी करते हैं। रात में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। सहायक कर्मचारी अय्यूब अली ने बताया कि लम्बे रूट की बसें यहां नहीं आती। चालक बाहर से ही बस ले जाते हैं। एेसे में यात्री अंदर ही बैठे रह जाते हैं। निजी बस चालक चांदी कूट रहे हैं। बसें अंदर लाने के बारे में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यात्री प्रेमलता ने कहा कि उदयपुर से आई हूं, झालावाड़ की बस के लिए एक घंटे से बैठी हूं। डिपो में माइक तो लगे हैं, लेकिन अनाउंसमेंट नहीं होता। अभी तक पता नहीं कि बस कम आएगी। बसों के आने-जाने की सूचना मिलती रहनी चाहिए, ताकि यात्रियों को सुविधा हो।
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…तो क्यों खर्च करें

कोटा आगार मुख्य प्रबंधक रामगोपाल शर्मा का कहना है कि नयापुरा बस स्टैण्ड को नए बस स्टैण्ड में स्थानांतरित कर जगह सरकार को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। जिला कलक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी मुद्दा उठा था। यात्रियों को सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। सरकार की मंशा है कि जब दो तीन माह में बस स्टैण्ड स्थानांतरित होने वाला है तो खर्च क्यों किया जाए।

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