हालत यह हैं कि जब नम्बर आता है तब मरीजों को दवाइयां खत्म होने की बात कहकर बाहर से खरीदने के लिए बोल दिया जाता है। मरीजों को मजबूरन बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। उन्हें नि:शुल्क दवा योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। कोटा में एमबीएस, जेके लोन व न्यू मेडिकल कॉलेज में औषधी भण्डारण से सीधे दवाइयां सप्लाई होती हैं। इनमें वर्तमान में आरएमसी की 608 व सुचर्स व सर्जिकल 290 तरह की दवाइयां उपलब्ध है। जबकि आरएमसी में 112 व सर्जिकल में 150 तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं।
ये जरूरत की दवाइयां भी नहीं अस्पताल में
पेरासिटामोल, आइब्रोप्रोफेन एण्ड पेरासिटामोल, एमोक्सी एमजी-500, फ्यूरोसिमाइड समेत अन्य बीमारियों की दवाइयां तक नहीं है। इन दवाइयों के लिए भी मरीजों को बाहर का रास्ता देखना पड़ रहा है।
पेरासिटामोल, आइब्रोप्रोफेन एण्ड पेरासिटामोल, एमोक्सी एमजी-500, फ्यूरोसिमाइड समेत अन्य बीमारियों की दवाइयां तक नहीं है। इन दवाइयों के लिए भी मरीजों को बाहर का रास्ता देखना पड़ रहा है।
दिखाए मूंगेरीलाल के सपने
एमबीएस अस्पताल में पिछले दिनों अस्पताल प्रशासन ने इंडोर में भर्ती मरीजों को बेड पर ही दवाइयां उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की बात कही थी। इसके लिए प्रस्ताव लेकर कुछ प्रयास भी किए, लेकिन तीन माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज तक बेड पर मरीजों को दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
एमबीएस अस्पताल में पिछले दिनों अस्पताल प्रशासन ने इंडोर में भर्ती मरीजों को बेड पर ही दवाइयां उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की बात कही थी। इसके लिए प्रस्ताव लेकर कुछ प्रयास भी किए, लेकिन तीन माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज तक बेड पर मरीजों को दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है।