दादाबाड़ी हनुमान बस्ती के पवन सेन एक सेलून की दुकान पर काम करते हैं। परिवार में पांच जने हैं। सेलून की दुकान पर 500 रुपए रोज पड़ जाते हैं। पवन बताते हैं कि लॉक डाउन के कारण घर की स्थिति तंगहाल हो गई तो सब्जी का धंधा शुरू किया। हालांकि इससे 200 से 250 रुपए का जुगाड़ ही होता है, लेकिन फिर भी न से थोड़ा ही भला है। पवन ने बताया कि 700 रुपए तो ठेले का किराया देना पड़ रहा है। इधर केशवपुरा टीचर्स कॉलोनी में गिर्राज प्रसाद टिंकू सेन बताते हैं कि दुकान से हर दिन 2 से 3 हजार की आय होती थी। इसमें तीन भाई व काम करने वाले तीन अन्य परिवारों का खर्च चल रहा था, अब स्थिति विकट है। दुकान पर काम करने वाले भी परेशान है। उनकी मदद करना भी हमारा फर्ज है। टिंकू व भूपेन्द्र सेन बताते हैं कोरोना ने सब को हिलाकर रख दिया है। सरकार को चाहिए कि ऐसे फुटकर व्यवसाय करने वालों का बंदौबस्त करे।
महावीर नगर विस्तार योजना के राकेश गुप्ता वर्षों से चाट का ठेला लगाते हैं। इसमें हर दिन डेढ़ से दो हजार रुपए की आय हो जाती है। परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं के कांधे पर है। उनकी तीन बेटियां है व एक बेटा है। चाट का ठेला लगाकर जैसे तैसे पेट पाल रहे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद यह काम छूट गया तो परिवार पर मुसीबत आ गई। मजबूरन उन्हें सब्जी का ठेला लगाना पड़ा। मनिहारी का सामान बेचने वाले सुधीर ने भी लॉकडाउन के बाद सब्जी का ठेला लगाना शुरू कर दिया। तो रेडिमेड के एक अन्य व्यवसायी को भी यही काम रास आया।