कोटा

यात्रियों की सुरक्षा पर खतरा, भूखे रहकर ट्रेन चला रहे ड्राइवर, नहीं जांची सेहत

Railway Hunger Strike : उपवास मंगलवार को को भी जारी रहेगा। कोटा मंडल में रेल प्रशासन ने किसी भी चालक की मेडिकल जांच नहीं कराई।

कोटाJul 15, 2019 / 08:32 pm

Rajesh Tripathi

भूखे रहकर ट्रेन चला रहे चालकों की नहीं जांची सेहत

कोटा। ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के आव्हान पर भूख हड़ताल सोमवार को शुरू हुई। हर एक ट्रेन के जिन चालक दल के पास एक से डेढ़ हजार यात्रियों को सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचाने का जिम्मा है, उन्होंने सोमवार को भूखे रहकर ट्रेन चलाई। उपवास मंगलवार को को भी जारी रहेगा। कोटा मंडल में रेल प्रशासन ने किसी भी चालक की मेडिकल जांच नहीं कराई। सुबह 11 बजे से 24 घंटे का उनका उपवास शुरू हुआ जो मंगलवार सुबह 11 बजे समाप्त होगा। पहले 48 घंटे की भूख हड़ताल प्रस्तावित थी, लेकिन यात्रियों की परेशानी का देखते हुए इससे 24 घंटे तक ही रखा। जो लोको पायलट ड्यूटी पर नहीं थे वे दिनभर लॉबी के बाहर उपवास पर बैठे रहे, लेकिन रेल प्रशासन की ओर से कोई बातचीत के लिए नहीं आया।
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ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के मंडल सचिव संजय गोयल ने बताया कि रेल प्रशासन और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को लिखित में लम्बे उपवास की सूचना दी थी, लेकिन कोई स्वास्थ्य जांचने नहीं आया।इंजन के भीतर गर्मी में बिना खाना खाए ड्राइवर 10 घंटे तक टे्रन चलाते रहे। ऐसे संरक्षा मानकों के तहत रेलवे की ओर से भूखे ट्रेन चालकों को मेडिकल कराने का भी कोई इंतजाम नहीं किया।
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खतरनाक है यह उपवास
संरक्षा जानकारों के अनुसार रेलवे में फि टनेस और स्वास्थ्य के सबसे कड़े मानक केवल ट्रेन चालको के ही हैं। सिग्नल देखने में चूक न हो, हार्ट अटेक जैसी आकस्मिक स्थिति न हो इसके लिए तय समय पर उनका नियमित परीक्षण मंडल अस्पताल में किया जाता है। इस उपवास में यदि किसी पायलट या सहायक लोको पायलट की तबियत बीच रास्ते बिगड़ गई तो ट्रेन में बैठे हजारों यात्रियों के जीवन पर खतरा मंडरा सकता है।
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