बिरला ने इस अभियान की शुरुआत के बारे में बताया कि कोटा जेके लोन अस्पताल से बाहर निकालते समय उन्हें नई रजाई ले जाते हुए एक ग्रामीण व्यक्ति मिला, जिसकी धोती और कुर्ता फ टा हुआ था। अस्पताल में उसकी बहू भर्ती थी और एक हजार रुपए एडवांस देकर तीन जनों के लिए एक रजाई किराए पर ली थी। उसी समय 200 कंबल और 200 रजाई का इंतजाम करवाने की बात मित्रों से कहीं। शुरू में कुछ मित्रों ने कहा कि ऐसे तो लोग रजाई-कंबल ले जाएंगे और लौटाएंगे नहीं। तब मैंने प्रयास करने के लिए कहा और अभियान शुरू हो गया। बैंक से रजाई-कंबल ले जाने वाले 90 फ ीसदी लोगों ने इन्हें लौटा दिया। गरीब व्यक्ति अभाव में जरूर जीता है, लेकिन ईमानदार होता है।
सर्दी का दौर शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष की पहल पर कोटा के एमबीएस अस्पताल और नए अस्पताल में पिछले रविवार को ही कम्बल निधि सेवा शुरू कर दी गई है। दोनों अस्पतालों में शाम ढलते ही मरीजों के तीमारदार बड़ी संख्या में कम्बल निधि केन्द्र पर नि:शुल्क कम्बल और रजाइयां लेने पहुंच जाते हैं।