मंदिर की अनूठी परम्परा के तहत हर वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा से भगवान के 14 दिन के लिए पट बंद हो जाते हैं। इस दौरान जगन्नाथ स्वास्थ्य लाभ अर्जित करेंगे। इस दौरान उन्हें फल, दाख व मिश्री व काढा अर्पित किया जाएगा। २३ को रथयात्रा के दिन बाहर आएंगे। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण व लॉकडाउन के कारण फिलहाल यह भी तय नहीं कि २३ को भी श्रद्धालुओं को भगवान जगदीश दर्शन देंगे। सरकार की गाइड लाइन के अनुसार ही मंदिर मंे व्यवस्था रहेगी।
मंदिर के मुख्य प्रबंधक एस के एस आनंद बताते हैं कि यह ठाकुरजी की सेवा का एक रूप है। एेसा मानते हैं कि पूर्णिमा पर भगवान आमरस के अधिक सेवन के कारण अस्वस्थ हो जाते हैं।इससे वह स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आराम करते हैं। इस दौरान मंदिर में घंटे घडिंयाल भी नहीं बजाते, आरती भी नहीं होगी। प्रतिदिन प्रतीक के रूप में भगवान को वैद्यजी चैक करने के लिए आते हैं। मान्यताओं के अनुसार स्वस्थ होने पर भगवान रथयात्रा पर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। मदिर में यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है।
अभिषेक पूजन व भोग
ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर एस के चिरंजीवी के सान्निध्य में भगवान जगन्नाथए बलराम व सुभद्रा तथा पतीतपावन जी का सना करवाया। ज्येष्ठाभिषेक किया गया व भगवान को आम का भोग लगाया गया। अब २१ जून को नेत्रोत्सव मनाया जाएगा। अगले दिन २२ को हवन व शुद्धिकरण व 23 को रथयात्रा महोत्सव मनाया जाएगा। इससे पहले पूर्णिमा पर सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मंदिर में ही अभिषेक किया। बाहर के किसी श्रद्धालओं को प्रवेश नहीं दिया गया। 22 व 23 को भी सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्यक्रम होंगे।
ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर एस के चिरंजीवी के सान्निध्य में भगवान जगन्नाथए बलराम व सुभद्रा तथा पतीतपावन जी का सना करवाया। ज्येष्ठाभिषेक किया गया व भगवान को आम का भोग लगाया गया। अब २१ जून को नेत्रोत्सव मनाया जाएगा। अगले दिन २२ को हवन व शुद्धिकरण व 23 को रथयात्रा महोत्सव मनाया जाएगा। इससे पहले पूर्णिमा पर सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मंदिर में ही अभिषेक किया। बाहर के किसी श्रद्धालओं को प्रवेश नहीं दिया गया। 22 व 23 को भी सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्यक्रम होंगे।