यह भी पढ़ें
maha shivaratri Special : यहां बिना बोले भोले भरते हैं भक्तों का भण्डार
यूं शुरू हुई प्रेम कहानी
नारद मुनि व ब्रह्माजी ने दक्ष पुत्री सती को कहा था कि तुम अनादि देव भगवान शिव को प्राप्त करोगी। इसके बाद सती शिव को प्राप्त करने के लिए भक्ति में जुट गई। आखिर भगवान शिव को प्राप्त किया। भगवान शिव से विवाह पर सती के पिता राजा दक्ष खुश नहीं थे। इसलिए उन्होंने यज्ञ किया तो शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती को पति का यह अपमान रास नहीं आया। वह क्रोधित हो उठी। यह कहकर कि वह अगले जन्म में फिर भगवान शिव को प्राप्त करेंगी, अपनी देह त्याग दी।
यह भी पढ़ें
maha shivratri special : दुनिया का एकमात्र मंदिर
जहां बेटी के साथ रहते हैं भगवान शंकरफिर लिया राजा हिमाचल के घर जन्म
शिव प्राप्ति का संकल्प लेकर देह को त्यागने के बाद सती ने पार्वती के रूप में हिमाचल के घर जन्म लिया। नारद मुनि ने एक बार फिर देवी पार्वती को याद दिलाया कि भगवान शिव तुम्हारे पति होंगे। हिमाचल की पुत्री ने कठोर तप किया। भगवान शिव ने पार्वती का प्रेम को परखने के लिए सप्तऋषियों को भेजा। सप्तऋषियों से प्रेम कथा सुनकर भोलेनाथ समाधिस्थ हो गए। कामदेव ने भगवान शिव की समाधि को तोड़ा, फिर देवी देवताओं की विनती पर भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया। (जैसा कि कथावाचक अनिल दीक्षित ने बताया।)
जब शिव ने किया विलाप
भगवान शिव को जब सारे घटनाक्रम का पता चला तो वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने वीरभद्र को यज्ञस्थल पर भेजा और यज्ञ विध्वंस करा दिया। सती की देह देख वे विलाप में डूब गए। वे सती को हाथों में उठाए विलाप करते चलते गए। त्रिनेत्रधारी का यह विलाप देख समस्त देवी देवता चिंतित हो गए। भगवान विष्णु भी। भगवान विष्णु ने विचार किया कि शिव इस तरह विलाप करते रहे तो सृष्टि का क्या होगा। उन्होंने सुदर्शन चक्र चला सती की देह के टुकड़े कर दिए, ताकि शिवशंकर इस पीड़ा से बाहर निकल सकें। सती की देह के ये टुकड़े 51 स्थानों पर गिरे। जहां जहां ये गिरे ये 51 शक्तिपीठ कहलाए।
भगवान शिव को जब सारे घटनाक्रम का पता चला तो वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने वीरभद्र को यज्ञस्थल पर भेजा और यज्ञ विध्वंस करा दिया। सती की देह देख वे विलाप में डूब गए। वे सती को हाथों में उठाए विलाप करते चलते गए। त्रिनेत्रधारी का यह विलाप देख समस्त देवी देवता चिंतित हो गए। भगवान विष्णु भी। भगवान विष्णु ने विचार किया कि शिव इस तरह विलाप करते रहे तो सृष्टि का क्या होगा। उन्होंने सुदर्शन चक्र चला सती की देह के टुकड़े कर दिए, ताकि शिवशंकर इस पीड़ा से बाहर निकल सकें। सती की देह के ये टुकड़े 51 स्थानों पर गिरे। जहां जहां ये गिरे ये 51 शक्तिपीठ कहलाए।