कोटा

परिवहन विभाग की लापरवाही से सरकार को हर महीने लग रहा 64 लाख का चूना

सिटी रूट के परमिट लेकर स्कूल-कोचिंगों में बसें लगाने से सरकार को हर महीने 64 लाख रुपए का चूना लग रहा है।

कोटाFeb 26, 2018 / 09:32 pm

shailendra tiwari

कोटा . सिटी रूट के परमिट लेकर स्कूल-कोचिंगों में बसें लगाने और इन्हें वक्त पर न जांचने की परिवहन विभाग की लापरवाही से सरकार को हर महीने 64 लाख रुपए का चूना लग रहा है। राजस्थान मोटर यान कराधान अधिनियम के मुताबिक जो बसें तय परमिट रूट पर नहीं चलती हैं, उनसे हर महीने 32 हजार रुपए की पेनल्टी वसूली जानी चाहिए। लेकिन, बस मालिकों से मिलीभगत कर परिवहन विभाग के अफसर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। राजस्थान मोटर यान कराधान अधिनियम-1951 में स्पष्ट उल्लेख है कि परिवहन विभाग की ओर से बसों को जिस रूट का परमिट दिया जाएगा उन्हें उसी पर चलना होगा। बसें तय रूट पर चल रही हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए प्रादेशिक परिवहन अधिकारी (आरटीओ) टीमें गठित करेंगे। जांच के दौरान कोई बस तय रूट पर चलती हुई नहीं मिलती है तो धारा 4 के अंतर्गत उस बस का पंचनामा भरकर 32 हजार रुपए महीने की पेनल्टी लगाई जाएगी।
 

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यूं समझिये गणित : कोटा में 254 बसों को सिटी परमिट जारी किया गया है। इसमें से 34 बसें नगर निगम की हैं। कुछ चुनिंदा बसों को छोड़ भी दिया जाए तो करीब 200 बसें शहर के तय रूट की बजाय पूरे दिन वाणिज्यिक संस्थानों में चल रही हैं। इन बसों की चैंकिंग कार्रवाई कर पंचनामा बनाकर प्रति बस 32 हजार रुपए महीना पैनल्टी वसूला जाए तो यह राशि 64 लाख रुपए महीना बैठती है। साल में यह आंकड़ा 7.68 करोड़ रुपए बैठता है। जाहिर है, मिलीभगत से सरकार को बड़ी राजस्व चपत लगाई जा रही है।
 

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ऐसे हो रहा खेल : परिवहन विभाग के अधिकारी नगरीय परिवहन सेवा के तय रूट पर सवारियों की संख्या कम बताकर सिटी बसों को वाणिज्यिक संस्थानों में चलाए जाने की अस्थाई अनुमति जारी कर देते हैं। हालांकि इस अस्थाई अनुमति पत्र में भी शर्त होती है कि वाणिज्यिक संस्थानों में एक फेरा लगाने के बाद बसों को दिन भर तय रूट पर ही चलना होगा। लेकिन मिलीभगत के चलते परिवहन विभाग के अधिकारी सिटी परमिट के रूट की जांच नहीं करते।

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