दिव्य स्वरूप का आकर्षण देखकर समूचे मंदिर के सोने से निर्मित होने का आभास हो रहा था। श्रद्धालुगण दर्शन व दिव्य स्वरूप का अपनी-अपनी तरह बखान व गुणगान करते रहे। विगत 22 वर्षों से अलग-अलग स्वरूपों में भगवान शिव का श्रृंगार करने के चलते हर वर्ष भक्तजनों की भारी भीड़ उमड़ती है।
भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए समिति द्वारा व्यवस्था बनाए रखने के लिए बेरिकेड्स लगाए गए, जिससे भक्तजनों ने कतारबद्ध होकर दर्शन किए। श्री गोकर्णेश्वर सेवा समिति के प्रमुख गुरूदेव अजय भट्ट ने बताया कि दो दिवसीय धार्मिक आयोजन के तहत शनिवार को दोपहर 12 बजे सुंदरकांड पाठ हुआ, तत्पश्चात शाम साढ़े चार बजे महाआरती के बाद स्वर्ण रजत श्रृंगार के दिव्य दर्शन आरंभ हुए। दर्शन के साथ ही शाम 5 बजे से आम भण्डारा शुरू हुआ, जो रात साढ़े दस बजे तक अनवरत चला। भण्डारे में लगभग दस हजार श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसादी ग्रहण की।