कोटा ग्रेन एण्ड सीड्स मर्चेन्ट्स एसोसिएशन की ओर से मंगलवार को
भामाशाहमंडी में आयोजित नए भारत निर्माण का संकल्प-20122 तथा नागरिक
अभिनंदन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि देश में एक सितम्बर से पोषक कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने संसद सांसदों से आह्वान किया था कि वे अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में कुपोषण मुक्ति का अभियान चलाएं।
हाड़ौती में अलर्ट ! 6 साल बाद गांधी सागर बांध का जलस्तर पहुंचा 1310. 28 फीट, कोटा बैराज के 9 गेट खोल पानी की निकासी आज मेरे संसदीय क्षेत्र कोटा और बूंदी को कुपोषण मुक्त करने का जिम्मा लेता हूं। शुरुआत में भामाशाहमंडी के एक-एक व्यापारी कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र की एक हजार
गर्भवती महिलाओं को नौ माह के लिए गोद लेंगे। नौ माह तक गर्भवती महिला को पौष्टिक भोजन, मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग का कुपोषण का सर्वे आने के बाद जनसहयोग से इसे आगे बढ़ाएंगे।
शिक्षा के जैसा अभावग्रस्त लोगों की जिंदगी में फैलाएंगे उजाला लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि देश में कोटा की पहचान सामाजिक मूल्यों वाले शहर में है। जिस शहर शिक्षा का उजाला देशभर में फैला रहे हैं। उसी तरह यहां के भामाशाहों और सामाजिक संगठनों को अभावग्रस्त लोगों की जिंदगी में उजाला फैलाने का काम करना होगा। हम सब मिलकर कोटा के अभावग्रस्त लोगों की घरों में खुशियों का उजाला फैलाएंगे।
सांसद रहते हुए मैंने कभी शुक्रवार की रात दिल्ली में नहीं बिताई और विदेश के दौरों के अवसर मिलने पर भी नहीं गया। जब संसद सत्र चलता था तो शनिवार और रविवार का अवकाश होने पर शुक्रवार रात को ही ट्रेन से कोटा पहुंच जाता था। मेरा प्रयास रहता कि अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के बीच अधिक से अधिक समय रहूं। अब लोकसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है।
देश के अन्य हिस्सों में भी जाना पड़ेगा और विदेश भी जाना होगा। शहर के लोगों को अब सामाजिक नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी। कोटा की धरती पर रात में कोई भूखा नहीं सोए और खुले आसमान के नीचे कोई नहीं सोए यह चिंता आपको करनी होगी।
कोटा की जनता के विश्वास और भरोसे से बड़ा दायित्व संभाला नागरिक अभिनंदन समारोह के दौरान लोकसभा अध्यक्ष अपनों के बीच मिले दुलार से भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा कि कोटा में मेरी जन्म और कर्मभूमि है। दिल्ली में लोकसभा अध्यक्ष हूं। आपके लिए बेटा, भाई ही रहूंगा। कोटा ने जिस तरह का स्नेह, भरोसा, विश्वास, ताकत और संस्कार दिए हैं, इसकी के बलबूते पर संसद का संचालन किया है।
अभी तक पांच-छह बार संसद सदस्य रहने वाले अनुभवी को ही लोकसभा अध्यक्ष का दायित्व सौंपा जाता था। मुझे लोकसभा अध्यक्ष का दयित्व सौंपा गया तो पूरा देश अचम्भित ही हुआ। छोटे से कार्यकर्ता को इतना बड़ा दायित्व सौंपा गया। जिम्मेदारी बड़ी थी। मेरी 130 करोड़ जनता के प्रति जवाबदेही थी।
लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद पर मत्था टेक कर निष्पक्ष रहने का संकल्प लिया था। संसद के सभी सदस्य मेरे लिए समान है। उन्होंने कहा कि संसद में 1952 से अब तक सबसे अधिक विधयेक 17 वीं लोकसभा के पहले सत्र में पारित हुए हैं। 70 साल से एक देश को
संविधान चल रहे थे। एक देश एक संविधान करने की जिम्मेदारी भी मुझे ही मिली है।