यहां स्वीकृति के बावजूद अब तक फुट ओवरब्रिज का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार मोड़क रेलवे स्टेशन पर ठहरने वाली आठ यात्री ट्रेनों से प्रतिदिन चार हजार से अधिक यात्री यात्रा करते हैं|
लेकिन स्टेशन पर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए फुट ओवरब्रिज नहीं होने से यात्रियों को नियम विरुद्ध पटरियां पार करनी पड़ती हैं। जिससे यात्रियों की जान जोखिम में बनी रहती है।
वहीं प्लेटफार्म नंबर एक की ऊंचाई अधिक होने से वृद्ध, महिला नि:शक्त यात्रियों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। कई बार तो ट्रेन आने के समय दोनों प्लेटफार्म के बीच मालगाड़ी खड़ी हो जाती है और ट्रेन का समय होने पर मजबूरन यात्रियों को जान जोखिम में डालकर ट्रेन के नीचे से या लांघ कर जाना पड़ता है। इस कारण यहाँ हमेशा दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है।
ऐसा ही कुछ बुधवार शाम को भी देखने को मिला जब प्लेटफार्म नंबर एक पर मालगाड़ी खड़ी होने व उसी समय प्लेटफार्म दो पर झालावाड़- कोटा पैसेंजर ट्रेन के आने पर कई यात्री ट्रेन के नीचे से होकर गए लेकिन कई यात्री परिवार के साथ होने से ट्रेन तक नहीं पहुंच पाए और मजबूरन उन्हें ट्रेन छोडऩी पड़ी।
गुरुवार दोपहर को भी रतलाम-मथुरा लोकल के समय भी प्लेटफार्म पर यही हालात थे। मिल चुकी है स्वीकृति
गौरतलब है कि मोड़क प्लेटफार्म पर फुट ओवरब्रिज स्वीकृत हुए आठ माह से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन रेलवे की लापरवाही के कारण अभी तक ओवरब्रिज का निर्माण शुरू नहीं हुआ है। जिसका खामियाजा आमजन को जान जोखिम में डालकर उठाना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि मोड़क प्लेटफार्म पर फुट ओवरब्रिज स्वीकृत हुए आठ माह से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन रेलवे की लापरवाही के कारण अभी तक ओवरब्रिज का निर्माण शुरू नहीं हुआ है। जिसका खामियाजा आमजन को जान जोखिम में डालकर उठाना पड़ रहा है।
फिर भी दूर नहीं हुई समस्या नेशनल हाइवे की हालत खस्ताहाल होने के दौरान सांसद ओम बिड़ला, विधायक चंद्रकान्ता मेघवाल, पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा और क्षेत्र के तमाम बड़े नेता मोड़क रेलवे स्टेशन से सफर कर चुके हैं।
इतना ही नहीं ग्रामीणों ने भी सभी से फुट ओवरब्रिज बनवाने, मोड़क में जयपुर सुपर व रणथंभौर एक्सप्रेस के ठहराव समेत यात्री सुविधाएं बढ़वाने की मांग कई बार की है लेकिन किसी ने अब तक समस्या समाधान के कोई प्रयास नहीं किए हैं।
हो चुकी है दुर्घटनाएं
प्लेटफार्म पर फुट ओवरब्रिज के अभाव में यहां पिछले पांच वर्षो में सात से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पिछले वर्ष भी यहां एक पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने आए कोटा निवासी एक युवक की पटरियां पार करने के दौरान दूसरी लाइन पर आ रहे फ्रंटियर मेल की चपेट में आने से मौत हो गई थी।