रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी के योग से मार्कंडेय और सत्याभामा योग भी इस करवा चौथ बन रहा है। क्योंकि
चंद्रमा की 27 पत्नियों में रोहिणी प्रिय पत्नी है। इसलिए यह संयोग करवा चौथ को बेहद खास बना रहा है। इसका सबसे ज्यादा लाभ उन महिलाओं की जिंदगी में आएगा जो पहली बार करवा चौथ का व्रत रखेंगी।
ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया की चंद्रोदय का समय रात्रि 8:28 मिनट पर चंद्रमा के दर्शन समभव है। इस दिन गजकेसरी योग का दिव्य सयोंग ,सुहागिनों के लिए होगा बेहद शुभ फलदायी होगा इस व्रत रखने से अमर सुहाग की फल प्राप्ति होगी।
रिश्ता जो रोशन करे
चांद की पूजा संकेत करती है कि जीवन की परेशानियों के अंधेरे में पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए रोशनी का काम करें। जिस तरह रात के अंधेरे में चंद्रमा रोशनी देता है। वैसे ही जीवन की परेशानियों में पति-पत्नी एक दूसरे के लिए राह दिखाने का काम करें।
छलनी सीखाती है पारदर्शिता
छलनी से पति को देखना सिखाता है कि रिश्ते में एक-दूसरे के लिए इतनी पारदर्शिता होनी चाहिए कि आसानी से एक दूसरे के जीवन और बातों को समझ सकें। रिश्तों में पारदर्शिता नहीं होने से वे गलतफहमियों के शिकार हो जाते हैं।
करवा चौथ के दिन महिलाएं चांद और पति को इसीलिए देखती हैं छलनी से हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं। इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।
करवा और उसका पानी
करवा और उसका पानी कहता है कि करवा संस्कार और पानी भावनाओं का प्रतीक है। दाम्पत्य और परिवार को एकजुट रखने में संस्कार और प्रेम ही सबसे प्रमुख हैं। अगर घर में संस्कार और प्रेम ना हो तो उसे एक नहीं रखा जा सकता है।