विभाग की टीमों को शहर के सवा तीन लाख घरों का सर्वे करना था, लेकिन एक माह में 90 हजार घरों का ही सर्वे हो सका। सर्वे करने में 60 टीम शामिल हैं। इनमें लगभग 300 सदस्य हैं। विभाग का दावा है कि वे प्रतिदिन घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं।
चिकित्सा विभाग के दावे के अनुसार 60 टीमें शहर में प्रतिदिन 50-50 घरों का सर्वे कर रही हैं। इस तरह से रोजाना कुल 3000 घरों का सर्वे हो रहा है। सर्वे की रफ्तार अगहर ऐसी ही रही तो शहर के सवा तीन लाख घरों तक पहुंचने में इन्हें करीब तीन माह लग जाएंगे। तब तक मौसम बदल चुका होगा, और डेंगू का असर स्वत: ही कमजोर पड़ जाएगा। इन टीमों में एएनएम, आशा सहयोगिनी, नर्सिंग स्टूडेंट भी शामिल हैं।
चिकित्सा विभाग ने दावा किया है कि मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम को लेकर वैसे तो सालभर ही अभियान चलाया जाता है। जिले में करीब 260 टीमें प्रतिदिन घरों का सर्वे करती हंै। अभियान के तहत जनवरी से अब तक जिले के 9 लाख से ज्यादा घरों का सर्वे किया जा चुका है।
चिकित्सा विभाग की टीमों ने अभियान का फायदा उठाते हुए एमएलओ में भी खेल कर दिया। विभाग के आंकड़े बताते है कि जिले में 2,434 टीमों ने 57,353 घरों का सर्वे किया। इसमें 9499 स्थानों पर एमएलओ डाला, जबकि 4524 स्थानों पर लार्वा पाया गया। इस एक माह के अभियान में विभाग ने 700 लीटर एमएलओ का उपयोग कर डाला। इस हिसाब से 32 हजार 700 रुपए का एमएलओ का छिड़काव हो चुका है।
युद्ध स्तर पर अभियान चलाने के बाद भी डेंगू पॉजीटिव की संख्या बढ़ती देख सीएमएचओ ने मोर्चा संभाला। सर्वे टीमों के साथ सीएचसी-पीएचसी का निरीक्षण किया। इस दौरान कई स्थानों पर लार्वा पाया गया। इस पर चिकित्सा प्रभारी अधिकारियों को नोटिस भी थमाए गए।
चिकित्सा विभाग डेंगू के विशेष अभियान के समय हाईरिस्क एरिया में होने वाले सर्वे में वॉलिंयटर्स की भी मदद लेता है। विभाग ने 60 वॉलियंटर्स की ड्यूटी हाईरिस्क एरिया में लगा रखी है। इन्हें अद्र्धकुशल श्रमिक के हिसाब से 225 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है। इस हिसाब से इस सर्वे पर भी 4 लाख से अधिक रुपए खर्च किए जा चुके हैं। चिकित्सा विभाग के माइक्रोप्लान के तहत डेंगू को लेकर शहर के आठ स्थानों को हाईरिस्क एरिया घोषित किया हुआ है। टीमें इनमें दो से तीन बार एंटी लार्वा एक्टिविटी करवा चुका है।
चिकित्सा विभाग विशेष अभियान में 61 स्थानों पर गम्बूशिया मछलियां छोड़ चुका है। इन मछलियों को बड़े तालाब, बावडिय़ों, छोटी ताल-तलैयों व अन्य स्थानों पर इस कारण छोड़ा जाता है। ये मछलियां मच्छर के लार्वा को खा जाती हैं।
डीसीएम, भीमगंजमंडी, बोरखेड़ा , शिवपुरा, छावनी-रामचन्द्रपुरा, बंगाली कॉलोनी, तलवंडी, इन्द्रविहार, संजय नगर। डेंगू को लेकर चिकित्सा विभाग गंभीर है। मैंने खुद मैदान में उतर कर टीमों के सर्वे का लगातार फाल्ॅाोअप किया। इसमें सीएचसी व पीएचसी पर लापरवाही पाई गई। उनके चिकित्सा प्रभारी अधिकारियों को नोटिस जारी किए। हॉस्टल के कूलरों में लार्वा मिलने पर मालिकों पर जुर्माना किया।
डॉ. बीएस तंवर, सीएमएचओ, कोटा