मिस्त्री की मोम की ममी के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन पहली बार जीव संरचना विभाग में मानव रूपी 25 साल पुरानी ममी दिखाई गई। इस ममी की संरचना मानव रूपी है, लेकिन शक्ल पहचान नहीं सके। इस कारण चेहरे को बदला गया है।
यहां बेट्री चलित मानव का चलता-फिरता कंकाल दिखाई दिया। जिसे देख विद्यार्थियों व अभिभावकों में उत्साह देखा गया।
लोगों में देहदान के प्रति जागरूक बढ़े इस उद्देश्य से देहदानियों की बॉडियों को भी प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी प्रदर्शित किया।
मल्टीमैन में डरावनी आवाजों के बीच मानव शरीर का पिघलता कंकाल बताया गया। यहां शीशे के अंदर मानव को खड़ा किया गया। उसके कुछ देर बाद उसने कंकाल का रूप ले लिया।
प्रदर्शनी में रखी अद्भुत चीजों को देख बच्चे रोमांचित हो गए।
मानव शरीर के बारे में जानकारी देते हुए।
प्रदर्शनी देखते साइंस स्टूडेंट
मानव शरीर में यूरिन (मूत्र) संरचना भी बताई गई। मॉडल में बताया गया है कि जब हम पानी पीते है तो दबाव से शरीर में ब्लड किडनी में जाता है। वहां नेफ्रोन होते है। नेफ्रोन से स्विंगटर अंदर व बाहर ओपन होकर खुल जाते है। अंदर ब्लड रह जाता है और बाहर यूरेथ्रा से यूरिन बनकर बाहर निकल जाता है।
न्यूरोसर्जरी विभाग की प्रदर्शनी में न्यूरो सर्जन डॉ. एसएन गौत्तम ने ऑपरेशन के वीडियो भी दिखाए गए। विभाग में मधु स्मृति संस्थान के बच्चों द्वारा यातायात के नियमों के बनाए गए मॉडल को मुख्य अतिथि हेल्थ यूनिवरसिटी के कुलपति डॉ. राजा बाबू पंवार ने सराहा और बच्चों की हौसला अफ जाई की। उन्होंने बच्चों को एक हजार रुपए नकद तथा प्राचार्य डॉ. गिरीश वर्मा ने पांच सौ रुपए नगद पारितोषिक दिया।