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पहले पति व परिजनों ने उपचार कराया, लेकिन वह स्वस्थ नहीं हुई, करीब दो साल पहले उसका पति महावीर मेहता दुनिया छोड़ गया। इसके बाद किरण को उसका भाई मामोनी गांव ले आया, इस दौरान कई बड़े शहरों में चिकित्सकों से उपचार भी कराया, लेकिन उसके ठीक नहीं होने पर उसे जंजीरों में जकड़ दिया गया। पूर्व में उसका पति भी जंजीरों से बांध कर रखता था। मानसिक रोगी किरण के भाई राकेश ने बताया कि उसकी बड़ी बहन किरण (40) की शादी पास ही खटका गांव में की थी।
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उफ! जिंदगी का यह भी रूपपीडि़त किरण पिछले 10 वर्षों से जानवरों से भी बदतर जिंदगी जी रही है वह उसके घर में ही एक पेड़ से नीचे लोहे की जंजीरों से बंधी रहती है और उसके परिजन सुबह, शाम खाना खिला देते हैं। कड़काती सर्दी और धूप व बरसात मानो उसकी जिंदगी में आते ही नहीं। यह सोचकर आमजन सिहर उठते हैं।
अपनी मां किरण को इस हालत में उसके दोनों पुत्र व उनसे बड़ी एक बिटिया खासे दुखी हैं। मामा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, मां के उपचार के लिए कहीं से आर्थिक मदद भी नहीं मिल रही। प्रशासनिक स्तर भी कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी उनकी पीड़ा नहीं समझ रहा। ऐसे में किरण की जिंदगी अधर में फंसी हुई है।
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पागलखाने ही भेज दोमानसिक रोगी के भाई राकेश मेहता का कहना है कि दस वर्ष से किरण का मानसिक संतुलन सही नहीं है। कई बार इलाज करा चुके हैं। घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। अब हम इलाज कराने में सक्षम नहीं है। अब प्रशासन से ही मदद की कुछ उम्मीद है।
डॉ. महेश भूटानी, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी