राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में गेहूं व चावल तो भरपूर भेज दिया है लेकिन उक्त सामग्री को पकाने के लिए गैस, मिर्च, मसालों व सब्जियां खरीदने के लिए तीन माह से राशि नहीं भेजी है। यह राशि कनवर्जन फंड नाम से स्कूलों के एसएमसी खातों मेें डलवाई जाती है। इतना ही नहीं दूध की राशि भी तीन माह से नहीं डलवाई है। ऐसे में शिक्षकों को बाजार से उधार या इधर उधर से इंतजाम करना पड़ता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो उपखंड में 178 सरकारी स्कूल हैं। उक्त स्कूलों में कक्षा 1 से 8वीं तक के 15 हजार 239 बच्चों को मिड डे मील देने का प्रावधान है। साथ ही सप्ताह में एक दिन फल देने का भी नियम है। एसएससी खातों में सितम्बर के बाद कनवर्जन फंड नाम से राशि नहीं डाली गई। दूध का पैसा भी सितम्बर के बाद से बाकी है। स्कूलों में प्रतिदिन मिर्च मसालों, तेल, गैस पर 78 हजार 400 रुपए व दूध पर 80 हजार रुपए खर्च करने होते हैं। यानि दोनों मिलाकर 1 लाख 58 हजार रुपए शिक्षकों को खर्च करने पड़ते हैं।
इस तरह से खर्च होती राशि
कक्षा 1 से 5वीं तक 10 हजार 654 व कक्षा 6 से 8वीं तक 4 हजार 585 बच्चे हैं। कनवर्जन फंड में कक्षा 1 से 5वीं तक प्रति बच्चा 4 रुपए 48 पैसे खर्च करने होते हैं। यानि एक दिन में 47 हजार 729 खर्च होते हैं। तीन माह 27 लाख 68 हजार रुपए खर्च होंगे। कक्षा 6 से 8 वीं तक प्रति बच्चे पर 6 रुपए 71 पैसे खर्च करने पड़ते हैं। एक दिन में 30 हजार 765 खर्च करने होते हैं। तीन माह में 17 लाख 84 हजार रुपए खर्च होंगे। विभाग की ओर से अक्टूबर से दिसम्बर तक कनवर्जन फंड के नाम से करीब 36 लाख रुपए की डिमांड भेजी गई है।
72 लाख रुपए की डिमांड भेजी
दूध का भी स्कूलों को अक्टूबर से दिसम्बर तक भुगतान नहीं हुआ है। कक्षा 1 से 5वीं तक के बच्चों को 150 ग्राम व कक्षा 6 से 8वीं तक के बच्चों को 200 एमएल दूध देने का प्रावधान है। बच्चों के दूध पर प्रतिदिन 80 हजार रुपए खर्च होते हंै। 46 लाख रुपए 40 हजार रुपए की डिमांड भेजी है।
कुक कम हेल्पर को नहीं मिला मानदेय
मिड डे मील पकाने वाली कुक कम हेल्पर को भी तीन माह से मानदेय नहीं मिला है। ब्लॉक मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अनुसार कुल 297 कुक कम हेल्पर कार्यरत हैं। प्रत्येक को 1 हजार 320 रुपए मानदेय प्रतिमाह दिया जाता है। कुक कम हैल्पर को अक्टूबर से दिसम्बर तीन माह का मानेदय नहीं मिला है। उक्त का मानदेय 11 लाख 88 हजार 120 रुपए बनता है।
वर्जन
कनवर्जन फंड व दूध की बकाया राशि के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। जैसे ही राशि आएगी। स्कूलों के एसएमसी खातों में डलवा दी जाएगी।
पन्नालाल बैरवा, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, रावतभाटा