राजस्थान में परिंदों ने भी छोड़ा पुराना आशियाना, नई जगहों पर बनाया ठिकाना
राजस्थान सरकार ने कोटा के उदपुरिया पक्षी विहार की सुध नहीं ली तो परिंदों ने भी इससे मुंह मोड़ लिया। अब वो सोरसन में ठिकाने बना रहे हैं।

अब इसे वयस्क होते ही मुक्त गगन की तलाश की कुदरती रवायत कहें या उदपुरिया में कम होते सुकून का नतीजा, गत वर्षों में यहां पैदा हुए जांघिल परिन्दे हाड़ौती ही नहीं, इससे बाहर भी कॉलोनियां आबाद कर रहे हैं। गत वर्षों में जांघिल उदपुरिया से अमलसरा सोरसन की ओर आकर्षित हुए हैं।
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जांघिलों से आबाद हुआ अमलसरा और सोरसन
अमलसरा क्षेत्र के तालाबों को बस्तियां बनाकर इन्होंने आबाद किया। पिछले तीन चार साल में इनके वहां बड़ी संख्या में आशियाने बने। बारां क्षेत्र के विजयनगर व परवन नदी के किनारे पेड़ों पर भी ये आबाद हो रहे, भीलवाड़ा में भी इन्होंने आशियाने बनाए हैं। इसके अलावा मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व क्षेत्र, रामगंजमंडी, उंडवा, चित्तौड़, जोधपुर समेत व अन्य जगहों पर भी कई अवसरों पर इनकी मौजूदगी हो गई है। हाड़ौती के विभिन्न इलाकों में ओपन बिल स्टोर्क, वूली नेक स्टोर्क, ब्लैक स्टोर्क देखे जा सकते हैं।
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भोजन-पानी की दिक्कत, पेड़ भी कम हुए
पक्षी प्रेमी एएच जैदी के मुताबिक बस्ती में संख्या अधिक होने पर भोजन-पानी आदि की जरूरतें बढऩे से परिन्दे नया आकाश व आशियाने तलाश लेते हैं। कई बार मानवीय दखलअंदाजी, पेड़ों की कमी समेत अन्य कारणों से भी ये पक्षी अपना घर बदल लेते हैं। उदपुरिया में दुनिया में आए नन्हे मेहमान जब बड़े हुए तो भोजन-पानी की दिक्कत उन्हें महसूस होने लगी। यहां पेड़ों की भी लगातार हो रही है। इसके चलते इनको मुश्किल होने लगी है। जाहिर है, इन्होंने अन्य जगहों पर फैलना शुरू कर दिया।
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1995 में उदपुरिया में दी दस्तक
असल में, उदपुरिया जांघिलों से 90 के दशक से आबाद है। 1995 से लेकर वर्ष 2013 तक इन्होंने उदपुरिया में लगातार अपनी बस्तियां बनाई। मोटे अनुमान के अनुसार यहां 6 हजार के लगभग नन्हें मेहमान जन्मे। कई सीजन में 250 से अधिक नीड़ बनाए, 600 बच्चे भी जन्मे।
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2014 से अमलसरा में डेरा
सोरसन के अमलसरा में 2014 में दर्जन भर घोंसले देखे गए, करीब 30 बच्चों से ये आशियाने चहके। अगले ही वर्ष घोसलों की संख्या 4 दर्जन तक पहुुंच गई, 110 के करीब बच्चों जन्मे। वर्ष 2016 में 8 दर्जन के करीब घोंसले बने और 120 बच्चों की किलकारी गूंजी। इस साल यहां अब तक 7 दर्जन के करीब घोंसले देखे जा चुके हैं। गत वर्ष की तुलना में एक दर्जन घोंसले कम बने हैं, लेकिन बच्चों की संख्या में सिर्फ 10 की कमी आई है।
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जांघिलों की माया
- 20 नीड़ बना लेते हैं एक पेड़ पर
- 20 से 25 बरस है औसत आयु
- 3 से 5 अंडे देते हैं एक बार में
- 02 वर्ष में हो जाते हैं वयस्क
- 6 हजार बच्चे जन्मे 22 साल में
- 150 करीब जांघिल हैं अब उदपुरिया में
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