12 मिनट में पहुंच गई सेना
अभ्यास के दौरान 11 बजकर 20 मिनट पर अलवर और बाड़मेर में भूकंप आया जिससे नए कोटा का इलाका पूरी तरह तहस नहस हो गया। हजारों लोग मलवे में दब गए। चंबल पर बने पुल और दोनों बड़े बांध ढह गए। भूकंप के बाद पूरा शहर बाढ़ की चपेट में आ गया। मोबाइल और वायरलेस नेटवर्क पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। तभी कोटा छावनी में मौजूद सैन्य प्रशासन हरकत में आया और सैटेलाइट कम्यूनिकेशन स्थापित कर उच्च स्तर पर आपदा की खबर दी। महज 12 मिनट में सेना के हैलीकॉप्टर मौके पर पहुंच गए और रस्सियों के जरिए जवान प्रभावित इलाके में उतर पड़े। सेना की ब्रिज कोर ने चम्बल पर पुल बना डाला और मलवा उठाने के लिए सेना का बुल्डोजर, एम्बुलेंस और रिलीफ फोर्स मैदान में आ जुटी।
देखते ही देखते सेना ने बना डाला पुल
मलवे में दबे लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ के प्रशिक्षित डॉग्स हाजिया और मौली की भी मदद ली गई। मलवे में दबे लोगों की गंध मिलते ही वह भौंकने लगीं और जवानों ने मलवा हटा घायलों को बाहर निकाला। तब तक वहां पहुंच चुकी एंबुलेंस और मेडिकल स्टाफ ने इलाज शुरू कर दिया। सेना ने आपातकालीन अस्पताल भी शुरू कर दिया। कोटा थर्मल में लगी आग को बुझाने के लिए एयर फायर बिग्रेड और आरएपीपी के न्यूक्लियर प्लांट में हुए रिसाव से लोगों को बचाने के लिए जवानों ने बचाव के तरीकों का प्रदर्शन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर प्राकृतिक एवं मानवीय आपदाओं से तत्काल निपटने के लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट रिस्पोंस मैकेनिज्म तैयार किया है। भूकंप और बाढ़ जैसी आपदाओं में फंसे लोगों को तत्काल राहत देने एवं बचाव कार्य शुरू करने के लिए इस मैकनिज्म में भारतीय सेना, वायु सेना, नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स, स्टेट डिजास्टर रिलीफ फोर्स और स्थानीय प्रशासन को शामिल किया गया है। चारों सहयोगियों के बीच समन्वय को मजबूत बनाने और अपनी तैयारियों को परखने के लिए सेना ने मंगलवार को आरएसी ग्राउंड पर एक्सरसाइज राहत 2019 का आयोजन किया। जिसमें आपदाओं से निपटने में जुटे स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय संगठनों के साथ सेना ने राहत एवं बचाव कार्यों का अभ्यास किया।