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बारां जिले के छीपाबड़ौद के सारथल निवासी प्रेमचंद नागर ने बताया कि 17 अक्टूबर को वह कार से गांव के प्रेमचंद व माधोलाल के साथ पूरसिंह को सारथल हाउस छोडऩे आए थे। पूरसिंह को छोड़ते समय वहां बाइक पर दो पुलिसकर्मी आए और माधोलाल को कार समेत थाने ले गए। पुलिस ने उनका मोबाइल, रुपए, गाडी की चाबी ले लिए और उन्हें थाने में रात भर बैठाए रखा।
पीडि़त के स्वयं को निर्दोष बताते हुए छोडऩे की बात कही तो पुलिसकर्मियों ने उसे बैरक में बंद करने की धमकी दी। जब सुबह पीडि़त ने खुद का ब्लड प्रेशर का रोगी बताते हुए गोली की आवश्यकता बताई तो पुलिसकर्मियों ने परिजनों को बुलाने के लिए फोन दिया। इस पर उसने उसकी बहन को फोन किया और थाने के बाहर खड़ी कार से दवाई लाने के लिए कहा। जब उसकी बहन थाने पहुंची, तो उसने पाया कि कार का ड्राइवर सीट की खिड़की का कांच टूटा हुआ है तथा गाड़ी में से बैग चोरी हो चुका है। बैग में करीब 85 हजार रुपए, फर्म और स्वयं की चेक बुक, एटीएम कार्ड, पेस्टीसाइड के लाइसेंस, खाद बांटने की पोस मशीन थी। इस पर जब उन्होंने पुलिस को चोरी की रिपोर्ट लिखने को कहा तो पुलिस ने उनसे एक खाली कागज पर साइन करवाकर उन्हें छोड़ दिया। इसके अगले ही दिन बदमाश ने उनके एटीएम से 10 हजार व उसके अगले दिन शेष 200 रुपए भी निकाल लिए। इसके बावजूद पुलिस मामले की रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही। ऐसे में खाद बांटने की मशीन के चोरी होने से उसका व्यापार अटक गया है।
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थाने में कार्रवाई नहीं होने पर पीडि़त ने सोमवार को पुलिस अधीक्षक को परिवाद सौंपकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने व उनके बैग व एटीएम से रुपए निकालने वाले बदमाश को गिरफ्तार कर माल बरामद करने की मांग की।
थाने में कार्रवाई नहीं होने पर पीडि़त ने सोमवार को पुलिस अधीक्षक को परिवाद सौंपकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने व उनके बैग व एटीएम से रुपए निकालने वाले बदमाश को गिरफ्तार कर माल बरामद करने की मांग की।