मोड़क अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद सभी शवों को परिजनों को सौंप दिया। परिजन शवों को लेकर गांव आए तो चीख-पुकार मच गई। परिजनों के साथ ग्रामीणों का रो-रोकर बुरा हाल था। गांव में चूल्हे तक नहीं जले। इसस पहले घटना स्थल यानी कुएं से जब शव निकाल रहे थे तो जैसे-जैसे मासूमों के शव निकाले जा रहे थे, वैसे-वैसे ग्रामीणों की रुलाई फूटती जा रही थी। शवों को निकालने वालों का भी दिल दहल उठा।
मृतका की दो पुत्रियां गायत्री (12) व पूनम (8) इस घटना में बच गई। पूनम ने पुलिस को बताया कि मां ने रात को दूध लाकर चाय बनाई। हमें चाय पिलाई, प्यार किया और सुला दिया। इसके बाद मां दूसरी बहनों को लेकर बाहर चली गई। घटना के बाद दोनों ब”िायां बुरी तरह से डरी-सहमी हैं। गायत्री तो कुछ बताने की स्थिति में भी नहीं थी। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि क्या हो गया।
मृतका व उसके पति में अक्सर झगड़ा होता था। उसका पति बहन के यहां धूलेट थाना क्षेत्र के नया गांव औसर गया हुआ था। वह अक्सर काम-धंधे के चलते बाहर ही रहता था। दोनों मेें झगड़ा होता था, इसलिए बादाम बाई अवसाद में रहती थी।
इतनी बड़ी घटना होने से गांव का हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया। पूरे गांव में कोहराम मच गया। घटना स्थल पर लोगों व परिजनों की चीख-पुकार मच गई। जब शवों को निकाला तो मंजर हिला देने वाला था। हर ग्रामीण रो रहा था। ग्रामीणों के आंसू नहीं रुक रहे थे, बार-बार एक-दूसरे से यही कह रहे थे कि हंसती-खेलती ब’िचयां आज इस तरह पड़ी हैं।
गांव में जब सभी के शव पहुंच तो करुण क्रंदन सुनाई पड़ा। मां के साथ पांचों बेटियों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया। पीहर पक्ष ने की निष्पक्ष जांच की मांग
घटना का पता चलते ही मृतका के पीहर पक्ष के लोग पहुंच गए। इनमें मृतका के काका नृसिंह बंजारा, मांगीलाल बंजारा, चचेरा भाई गोपाल, वकील गौड, जीजा हरिओम राठौर, नारायणखेड़ा उपसरपंच किशनलाल, मनासा डंडेरी निवासी भाई बाबूलाल ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि शवों को निकालने के बाद मुंह से झाग निकल रहे थे। उन्होंने पति का घटना में हाथ होने का अंदेशा जताया।