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सांसद ओम बिरला की इस बात पर बिफरे किसान और दिया ऐसा जवाब जिसके बाद सांसद से नहीं बना कोई जवाब

locationकोटाPublished: Jul 23, 2018 06:24:19 am

Submitted by:

rajesh walia

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कोटा.

अफीम नीति फसल 2018-19 के निर्धारण के सम्बंध में सुझावों को लेकर रविवार को झालावाड़ रोड स्थित उप नारकोटिक्स कार्यालय परिसर में अफीम सलाहकार समिति की बैठक हुई। बैठक में सांसद ओम बिरला ने किसानों से अफीम की खेती के खर्चे-मुनाफे के बारे पूछा तो छीपाबड़ौद क्षेत्र के किसान चम्पालाल मीना ने बताया कि नारकोटिक्स विभाग 10 आरी (करीब आधा बीघा) का पट्टा मिलता है। इसमें अफीम की खेती में 42 हजार का खर्चा होता है। वहीं 30 हजार की अफीम निकलती है। इस पर बिरला ने कहा कि ‘ऐसी खेती ही क्यों करते हो, जिसमें नुकसान लगे, कुछ फायदा ही नहीं हो। यह सुनते ही मौजूद किसान बिफर गाए और भारतीय किसान संघ के प्रदेशमंत्री जगदीश कलमंडा बीच में ही बोल पड़े कि ‘तो फिर आप बता दो, हम किसकी खेती करें। जिसकी खेती करने से नुकसान नहीं लगता है। सरकार तो पूरी उपज तक नहीं खरीद कर पा रही। इस सवाल का सांसद कोई ठोस जवाब नहीं दे पाये।
सहीराम मीणा को निर्देशित किया
बाद में बिरला ने उप नारकोटिक्स आयुक्त सहीराम मीणा को निर्देशित किया उनके अधिकारी-कर्मचारी किसानों को नाजायज परेशान करते हैं। जब किसान के खेत में उपज हीं नहीं हुई तो वह कहां से लाएगा। किसान कभी बेइमानी नहीं करता। इस पर उप नारकोटिक्स आयुक्त मीणा ने अधिकारी- कर्मचारियों को पाबंद करने का आश्वासन दिया। बैठक में डग विधायक रामचंद सुनारीवाल, छीपाबड़ौद प्रधान कविता मीणा, बकानी प्रधान प्रेम लोधा सहित अटरू, छबड़ा, छीपाबडौद, भवानीमंडी, बकानी, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, निम्बाहेड़ा, उदयपुर के अफीम उत्पादक क्षेत्र के 5 दर्जन से अधिक किसान मौजूद रहे।
2008 के बाद मिले किसानों को निरस्त अफीम के पट्टे

बारां-झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह ने कहा कि केंद्र व राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद अफीम नीति में कई संशोधन किए। जिनका किसानों को भरपूर फायदा मिला। कई किसानों को नई पॉलिसी के आधार पर पट्टे जारी करवाए। अभी भी अफीम की खेती को लेकर किसानों की कई समस्याएं है। जिनका विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारियों से वार्ता कर समाधान करवाया जाएगा। 1998 से 2003 तक कई किसानों के पट्टे निरस्त किए गए। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से मिलकर वर्ष 2008 के बाद कई किसानों को अफीम के पट्टे दिलवाए।
किसानों ने यह बताई समस्याएं

भारतीय किसान संघ के निम्बाहेड़ा के किसान सोहनलाल आंजना ने कहा कि नारकोटिक्स विभाग ने अफीम की तुलाई मार्फिन के मापदंड पर लागू की है। जिसकी किसानों को जानकारी नहीं है। यह नीति बंद कर औसत उत्पादन के आधार पर लागू की जानी चाहिए। अफीम तस्कर को पकडऩे पर वे किसानों के नाम बता देते है। विभाग किसानों को भी पकड़ लेती है। बाद में वे बरी हो जाते हैं। ऐसे में किसानों पर कार्रवाई रोकी जानी चाहिए। अफीम के खेत सड़क किनारे होते है। ऐसे में धूल उड़कर डोडों पर चिपक जाती है। बाद में दूध में धूल की मात्रा आने पर विभाग द्वारा निरस्त कर दी जाती है, जो बंद किया जाना चाहिए।
अफीम का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित हो
उदयपुर के पुष्कर शर्मा ने कहा कि विभाग द्वारा खेत की नपाई मेड़ की बजाय पौधों से की जानी चाहिए। भवानीशंकर धरतीपकड़ ने कहा कि प्राकृतिक आपदा आने अफीम उत्पादक किसान को सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाना चाहिए। भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री जगदीश कलमंडा ने सुझाव दिया कि सभी फसलों के समान अफीम का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होना चाहिए। अफीम की फसल का बीमा होना चाहिए। फसल में रोग लगने पर विभाग द्वारा नष्ट करवा दी जाती है। जिसका मुआवजा दिया जाना चाहिए। अगले वर्ष किसान का अफीम उत्पादन शून्य औसत मानकर पट्टा दिया जाना चाहिए।
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