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रोजाना होती है 30 से 40 एमआरआई
नए अस्पताल में रोजाना 30 से 40 एमआरआई के लिए मरीज आते हैं। एमआरआई जांच के लिए यहां 2000 से 5400 की राशि लगती है। यदि मरीज बाहर एमआरआई करवाता है तो उसे 15 प्रतिशत अधिक खर्चा वहन करना पड़ रहा है। BIG News: कोटा में तेज धूप ने बचा ली 40 लोगों की जान, नहीं तो हो जाता अनर्थ…
मरीजों की जेब पर सवा से डेढ़ लाख का फटका
नए अस्पताल में एमआरआई नहीं होने से मरीजों को निजी अस्पतालों में जाकर करवानी पड़ रही है। औसतन रोजाना 40 मरीजों की एमआरआई होती है तो मरीजों की जेब पर सवा से डेढ़ लाख का फटका पड़ रहा है।
निविदा खोली जाएगी
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बैकअप के लिए खरीदनी हैं बैटरियां
एमआरआई मशीन के लोड के लिए यूपीएस में भारी भरकम 34 बैटरी लगती है। बिजली जाने पर बैकअप के लिए खरीदनी थी। अस्पताल प्रशासन ने इसे फाइल के नोटशीट पर तो ले रखा था, लेकिन काफी समय से खरीदा नहीं गया। रेडियोलॉजी विभाग करीब 10 माह से अस्पताल प्रशासन को नई बैटरियां खरीदने को लगातार पत्र लिख रहा था।
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नए अस्पताल में अधीक्षक पद पर डॉ.सीएस सुशील के आने के बाद फाइल संभागीय आयुक्त को भेजी। जहां से हस्ताक्षर होकर आ गई। उसके बाद निविदा खोलने की तैयारी की, लेकिन अधीक्षक के डिजिटल हस्ताक्षर के फेर में अटक गई। हर अधीक्षक के दो साल बाद डिजिटल हस्ताक्षर बदल जाते हैं।बड़ी खबर: कोटा एयरपोर्ट के लिए अब मिशन ‘ओम-शांति’, 12 लाख लोगों का सपना सच करने को एक हुए राजस्थान के दो दिग्गज
अस्पताल में एमआरआई मशीन के लिए पावर बैटरियां खरीदनी है। फाइल पर संभागीय आयुक्त के हस्ताक्षर हो चुके है। निविदा की तैयारी कर ली है, लेकिन डिजिटल हस्ताक्षर नहीं होने के कारण कार्य अटका है। डिजिटल हस्ताक्षर के बाद निविदा खोली जाएगी।डॉ. सीएस सुशील, अधीक्षक, नए अस्पताल