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शिवराज गैंग की पार्टी में मौजूद दागी कर्मी मुकेश तंवर के खिलाफ अग्निशमन विभाग एक सप्ताह बाद भी नहीं कर सका जांच पूरी

locationकोटाPublished: Jan 16, 2020 10:03:40 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

फायरमैन तंवर साल भर से अतिक्रमण शाखा में काट रहा था मलाई

शिवराज गैंग की पार्टी में मौजूद दागी कर्मी मुकेश तंवर के खिलाफ अग्निशमन विभाग एक सप्ताह बाद भी नहीं कर सका जांच पूरी

शिवराज गैंग की पार्टी में मौजूद दागी कर्मी मुकेश तंवर के खिलाफ अग्निशमन विभाग एक सप्ताह बाद भी नहीं कर सका जांच पूरी


कोटा. शिवराज गैंग की पार्टी में मौजूद नगर निगम के फायरमैन मुकेश तंवर के खिलाफ निगम प्रशासन एक सप्ताह बाद भी जांच पूरी नहीं कर पाया। इसी बीच अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि फायरमैन के पद पर नियुक्ति होने के बाद यदा कदा ही अग्निशमन केंद्र पर काम किया। उसके कार्यकाल का बड़ा समय निगम की अतिक्रमण शाखा में ही गुजारा।

गैंगस्टर रणवीर चौधरी की हत्या के दिन 22 दिसंबर को शिवराज गैंग की ओर से दी गई पार्टी में फायर मैन मुकेश तंवर का जन्मदिन भी मनाया गया था। इस पार्टी में आधे से ज्यादा लोगों को उसी ने फोन करके बुलाया था। पार्टी की तस्वीरें सामने आने और राजस्थान पत्रिका के खबर प्रकाशित करने के बाद पुलिस अधीक्षक से निजी सहायक और सुरक्षा कर्मियों समेत पांच पुलिस कर्मियों को डीआईजी रवि दत्त गौड़ निलंबित कर चुके हैं।
जांच से बच रहा निगम
मामले का खुलासा होने के बाद पहले तो निगम प्रशासन मुकेश तंवर के खिलाफ जांच करने को तैयार नहीं था, लेकिन पुलिस कर्मियों के निलंबन के बाद दवाब में आकर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत ने आपराधिक किस्म के लोगों के साथ उसके संबंधों की जांच मुख्य अग्निशमन अधिकारी दिनेश वर्मा को सौंपी थी, लेकिन वर्मा ने जांच से पल्ला झाडते हुए फाइल सहायक अग्निशमन अधिकारी देवेंद्र गौतम की ओर सरका दी।
अग्निशमन विभाग में जांच को लेकर ऐसी टालमटोल शुरू हुई कि सप्ताह भर बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। वहीं जांच पूरी न होने का बहाना बना निगम अधिकारी दागी फायरमैन के खिलाफ कार्रवाई से पल्ला झाडऩे में जुटे हैं।
अतिक्रमण दस्ते में रहती थी तैनाती
तंवर के खिलाफ शुरू हुई जांच की प्रगति जानने के लिए जब मुख्य अग्निशमन अधिकारी दिनेश वर्मा से बात की गई तो पहले वह तंवर के अस्पताल में भर्ती होने की बात कह टालमटोल करने लगे। उन्होंने खुलासा किया कि नियुक्ति के बाद तंवर के कार्यकाल का अधिकांश समय अतिक्रमण शाखा में ही गुजरा है।
ऐसे में वह कब दफ्तर आता था और किसके साथ उसका बैठना था, इसकी जांच के लिए अतिक्रमण शाखा से भी संपर्क किया जा रहा है। जिसकी वजह से जांच पूरी होने में देरी हो रही है। तंवर के अस्पताल में भर्ती होने के कारण उससे भी पूछताछ नहीं की जा सकी है। वहीं दूसरी ओर पूरे प्रकरण पर निगम के आला अधिकारियों ने भी चुप्पी साध ली है।
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