scriptभगवान आदिनाथ में रमा कोटा के रुद्धार खान का मन, बेटे के ब्याह में भेजा पहला न्योता, पढि़ए खास रिपोट… | Muslim Ruddhara Khan worshiping Lord Adinath in Jain Temple in kota | Patrika News

भगवान आदिनाथ में रमा कोटा के रुद्धार खान का मन, बेटे के ब्याह में भेजा पहला न्योता, पढि़ए खास रिपोट…

locationकोटाPublished: Mar 05, 2019 01:32:53 am

Submitted by:

​Zuber Khan

अलवर के रुद्धार खान उन तमाम लोगों के लिए उदाहरण है जो धर्मों के नाम दुनिया को बांटने के कार्य में लगे हैं। अपने बेटे की शादी का पहला कार्ड भगवान आदि‍नाथ को अर्पित किया है।

Ruddhara Khan

भगवान आदिनाथ में रमा कोटा के रुद्धार खान का मन, बेटे के ब्याह में भेजा पहला न्योता

कोटा. अलवर के रुद्धार खान उन तमाम लोगों के लिए उदाहरण है जो धर्मों के नाम दुनिया को बांटने के कार्य में लगे हैं। घर, दीवारों पर पैंटिंग कर दुनिया को रंगीन बनाने रुद्धार ने अपने बेटे की शादी का कार्ड सबसे पहले मंदिर में भगवान को अर्पित कर दिलों में भी सदभाव के रंग घोल दिए हैं। रुद्धार सेना पुलिस से सेवानिवृत हैं। वह बताते हैं कि सेना में यही सिखाया जाता है कि सभी धर्मों का सम्मान करो। ईश्वर, अल्लाह वाहेगुरु प्रभू यीशु सभी एक हैं। इसी तरह की भावनाओं के साथ उन्होंने अपने बेटे अरमान खां की शादी का पहला का कार्ड अतिशय क्षेत्र दादाबाड़ी नसियांजी में भगवान आदिनाथ के चरणों में अर्पित किया।

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ऐसे हुआ जुड़ाव

मनोज जैन आदिनाथ बताते हैं कि करीब पांच वर्ष पहले 2014 में रुद्धार खां ने मंदिर में पेंटिंग का कार्य किया था। किसी ने बताया था कि वह अच्छा कार्य करता है। यहां कार्य करते करते हुए ऐसा विश्वास हो गया कि वह रोज मंदिर में दर्शन करने लगा। कभी कोई संकट होता तो मंदिर में दर्शन करने के लिए आता था। मनोज बताते हैं कि इनके बेटे की तबीयत ज्यादा खराब हुई तो हम इसे छोडऩे के लिए जाने लगे, तो इसने कहा कि मैं पहले मंदिर में दर्शन करुंगा बाद में जाऊंगा। आस्था को देखकर हम चकित हो गए। बेटे की तबीयत ठीक होने पर आया और मंदिर में छत्तर चढ़ाया।

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जीवन में आया परिवर्तन

खुद रुद्धार बताते हैं कि वह काफी शराब पीता था, यहां आने के बाद शराब छोड़ दी। शाकाहार को अपना लिया। कोई ऐसा कार्य नहीं करने का प्रयास रहता है कि किसी को कोई कष्ट नहीं हो। मुझे देखकर परिवार में भी बदलाव आ गया। बेटा बैंक में लेखाधिकारी है। वह जयपुर में है। अन्य बेटे भी पढ़ रहे हैं। परिवार में अब शांति व खुशहाली है। संकट की घड़ी में अल्लाह के साथ ईश्वर भी याद आते हैं। वह रोजे भी रखते हैं और मंदिर में दर्शन करने भी जाते हैं।

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