Special Story : जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ एक लाठी का फासला, पढि़ए, टाइगर और लाठी का कनेक्शन…
ऐसे हुआ जुड़ाव
मनोज जैन आदिनाथ बताते हैं कि करीब पांच वर्ष पहले 2014 में रुद्धार खां ने मंदिर में पेंटिंग का कार्य किया था। किसी ने बताया था कि वह अच्छा कार्य करता है। यहां कार्य करते करते हुए ऐसा विश्वास हो गया कि वह रोज मंदिर में दर्शन करने लगा। कभी कोई संकट होता तो मंदिर में दर्शन करने के लिए आता था। मनोज बताते हैं कि इनके बेटे की तबीयत ज्यादा खराब हुई तो हम इसे छोडऩे के लिए जाने लगे, तो इसने कहा कि मैं पहले मंदिर में दर्शन करुंगा बाद में जाऊंगा। आस्था को देखकर हम चकित हो गए। बेटे की तबीयत ठीक होने पर आया और मंदिर में छत्तर चढ़ाया।
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जीवन में आया परिवर्तन
खुद रुद्धार बताते हैं कि वह काफी शराब पीता था, यहां आने के बाद शराब छोड़ दी। शाकाहार को अपना लिया। कोई ऐसा कार्य नहीं करने का प्रयास रहता है कि किसी को कोई कष्ट नहीं हो। मुझे देखकर परिवार में भी बदलाव आ गया। बेटा बैंक में लेखाधिकारी है। वह जयपुर में है। अन्य बेटे भी पढ़ रहे हैं। परिवार में अब शांति व खुशहाली है। संकट की घड़ी में अल्लाह के साथ ईश्वर भी याद आते हैं। वह रोजे भी रखते हैं और मंदिर में दर्शन करने भी जाते हैं।