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कोटा

Hadoti Calling : पिकनिक स्पॉट पर जरूर जाएं, लेकिन संभल कर उठाएं आनंद

7 Photos
3 years ago
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बरधा बांध- बारिश में बांध पर चादर चलने पर सौन्दर्य देखते ही बनता है। यह स्थल मिनी गोवा जैसा बन जाता है। सर्दियों के समय यहां प्रवासी पक्षियों का आगमन भी प्रकृति प्रेमियों को लुभाता है। यहां ऐसे पहुंचे- कोटा व बूंदी से समान करीब 25 किलोमीटर दूर है। कोटा या बूंदी के सड़क मार्ग से तालेड़ा अकतासा से पुलिया के नीचे से निकलते हुए अल्फानगर की ओर जाना पड़ता है। यहां से कुछ दूरी पर बांध की सीमा है। यह सावधानी जरूरी- जहरीले जीव-कीटों का खतरा है। चट्टानों पर बहते पानी में नहाते समय फिसलने व गिरने का डर है।

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रामगढ़ क्रेटर (Ramgarh crater)- विश्व प्रसिद्ध धरोहर में शामिल करोड़ों साल पहले उल्कापात से बना विशाल क्रेटर भारत के गिने चुने क्रेटर में से एक है। क्रेटर अंगूठीनुमा आकार में बना 3.2 किमी व्यास एवं अधिकतम ऊंचाई 200 मीटर का है। निकट पहाड़ी पर अन्नपूर्णा कृष्णाई माता प्रमुख आस्था स्थल है। यहां ऐसे पहुंचे- बारां शहर से 45 किमी दूर है। किशनगंज होते हुए या मांगरोल से सीधे रामगढ़ पहुंचा जा सकता है। यह सावधानी जरूरी- अधिक ऊंचाई और गहराई होने के कारण सावधानी जरूरी। यहां किसी भी तरह की सुविधा नहीं है। इसलिए अपनी तैैयारी के साथ जाएं।

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शेरगढ़ किला- बारां जिले के अभयारण्य में किला है। किले में हवेलियां दर्शनीय है। समीप से परवन नदी बह रही है। इस किले में सैफ अली खान की फिल्म कप्तान की शूटिंग भी हुई थी। यहां ऐसे पहुंचे- बारां से अटरू होते हुए अच्छा सड़क मार्ग है। झालावाड़ जिले के खानपुर मार्ग से भी जुड़ा है। यह सावधानी जरूरी- अभयारण्य के कारण वन्यजीवों का खतरा है।

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भीमलत महादेव- बूंदी के खीण्या के आगे भीमलत महादेव है। भीमलत को पांडव कालीन कथाओं से जोड़कर भीम की लात से बना हुआ मानते हैं। यहां का झरना प्रदेश भर में प्रसिद्ध है। भीमलत महादेव गहराई पर विराजमान हैं। श्रद्धालु यहां झरने का लुत्फ भी उठाते हैं। सावधानी- झरने में नहाते समय फिसलन व चोट का खतरा है।

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गरड़िया महादेव- चंबल के किनारे व भगवान महादेव का स्थान होने से यह स्थान पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह स्थान कोटा का आइकन है। यहां ऐसे पहुंचे- कोटा से करीब 25 किलोमीटर दूर हैंगिंग ब्रिज चित्तौड़ रोड से लेफ्ट की तरफ रास्ता है। मुख्य सड़क से 3 किलोमीटर चलना है। वन विभाग की जवाहर सागर रेंज में आता है। यहां सूचना पट्ट भी लगा है। यह सावधानी जरूरी- चंबल नदी के किनारे रैलिंग लगा रखी है। लेकिन थोड़ी सी असावधानी से पैर फिसलकर करीब 300 फीट गहराई में चम्बल नदी में गिरने का खतरा है।

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गेपरनाथ महादेव- चंबल की कराइयों के बीच यहां स्वयंभू शिवलिंग है। मंदिर 16 वीं शताब्दी का माना जाता है। स्थान तक पहुंचने के लिए करीब 300 से सीढिय़ां उतरकर जाना पड़ता है। यहां ऐसे पहुंचे- कोटा से करीब 20 किलोमीटर दूर रावतभाटा रोड पर रथकांकरा के पास गेपरनाथ महादेव का स्थान है। यहां बस व निजी साधनों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह सावधानी जरूरी- बरसात के समय यहां खतरा ज्यादा है। कुंड के दूसरी तरफ नहीं जाएं। क्योंकि अचानक पानी बढ़ जाने से दूसरी तरफ से सीढिय़ों की तरफ लौटना मुश्किल हो जाता है। सीढिय़ों व कुंड के आस-पास फिसलन का खतरा है। शाम होने से पहले ही लौट जाना चाहिए।

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गेपरनाथ महादेव- चंबल की कराइयों के बीच यहां स्वयंभू शिवलिंग है। मंदिर 16 वीं शताब्दी का माना जाता है। स्थान तक पहुंचने के लिए करीब 300 से सीढिय़ां उतरकर जाना पड़ता है। यहां ऐसे पहुंचे- कोटा से करीब 20 किलोमीटर दूर रावतभाटा रोड पर रथकांकरा के पास गेपरनाथ महादेव का स्थान है। यहां बस व निजी साधनों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह सावधानी जरूरी- बरसात के समय यहां खतरा ज्यादा है। कुंड के दूसरी तरफ नहीं जाएं। क्योंकि अचानक पानी बढ़ जाने से दूसरी तरफ से सीढिय़ों की तरफ लौटना मुश्किल हो जाता है। सीढिय़ों व कुंड के आस-पास फिसलन का खतरा है। शाम होने से पहले ही लौट जाना चाहिए।

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Kanaram Mundiyar

चिकित्सा-शिक्षा, राजनीति, शहरी ढांचागत विकास व आमजन के मुद्दों पर खोजपूर्ण खबरों में खास रूचि। 24 साल से प्रिन्ट, डिजिटल व टीवी पत्रकारिता में समान रूप से सक्रिय। माणक अलंकरण, पंडित झाबरमल्ल स्मृति, वीर दुर्गादास राठौड़ पत्रकारिता पुरस्कार एवं दक्षिण एशियाई लाडली मीडिया अवार्ड से पुरस्कृत। ब्यावर, अजमेर, नागौर, जोधपुर, कोटा व भीलवाड़ा में काम किया। वर्तमान में जयपुर मुख्यालय में समाचार सम्पादक पद पर कार्यरत।
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