राजफैड अधिकारियों व सहकारी समितियों के मैनेजर का कहना है कि नेफैड समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं करना चाहता तो इसे बंद कर देना चाहिए। खरीद केन्द्रों पर सर्वेयर की ओर से अच्छी क्वालिटी का चना पास करने के बाद तुलाई होकर ट्रकों से वेयरहाउस पहुंचाया जा रहा है। लेकिन वेयरहाउस पर तैनात नेफैड के सर्वेयर अच्छी क्वालिटी का चना होने के बावजूद उसे नापास कर वापस लौटा रहे है। समितियों के मैनेजरों का कहना है कि नेफैड को अपने सर्वेयर खरीद केन्द्रों पर लगाने चाहिए ताकि जो माल नहीं खरीदना हो वहीं रिजेक्ट हो जाए। नेफैड की ओर से माल को रिजेक्ट करने के बाद गठित समिति उस माल का दुबारा सर्वे करती है लेकिन उस समिति में भी नेफैड के सर्वेयर शामिल नहीं होते। ऐसे में बारां व बूंदी खरीद केन्द्रों पर कांटे शुरू होने के बावजूद खरीद कार्य धीमी गति से चल रहा है।
भाजपा देहात जिलाध्यक्ष मुकुट नागर ने बताया कि अफसरों की लेटलतीफी के चलते कोटा सम्भाग में समय पर खरीद केन्द्र शुरू नहीं हो सके। बारां व बूंदी में खरीद केन्द्र शुरू हुए तो अच्छी क्वालिटी का माल भी नेफैड के सर्वेयर रिजेक्ट कर रहे हैं, ऐसे में बारां, बूंदी का किसान परेशान हो रहा है। कोटा व झालावाड़ में 26 दिन बाद भी टेण्डर नहीं होने से मजबूरन किसानों को सस्ते दामों पर बाजार में चना बेचना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि चना का बाजार भाव 4500 से 4600 रुपए चल रहा है जबकि समर्थन मूल्य 5230 रुपए प्रति क्विंटल है। खरीद केन्द्र शुरू नहीं होने से सम्भाग में किसानों को 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल कम दर पर बाजार में चना बेचने से करीब 20 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
राजफैड के मैनेजर गुलाबचन्द मीना ने बताया कि कोटा व झालावाड़ खरीद केन्द्रों पर परिवहन व लोडिंग की टेण्डर प्रक्रिया हो चुकी है। इसे स्वीकृति के लिए जयपुर भेज रखा है। एक-दो दिन में स्वीकृति मिलते ही अगले सप्ताह यहां खरीद केन्द्र शुरू हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि सम्भाग में करीब 15 हजार किसानों ने चना के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। बारां व बूंदी में करीब 6 हजार क्विंटल चना की खरीद हो चुकी है।