बताया गया कि प्रशासन शहर की सफाई व्यवस्था के लिए अब हर माह 65 लाख रुपए अतिक्ति खर्च करेगा। इसके लिए प्रत्येक वार्ड में घर-घर कचरा उठाने के लिए तीन टिपर लगाए जाएंगे। हालांकि टिपर को लेकर पार्षद ही सवाल उठा रहे हैं कि कहां कचरा उठ रहा है, निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है। निगम ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे शहर में घर-घर कचरा एकत्र करने के लिए तीन जोन स्तर पर टेण्डर मांगे थे। इसमें प्रत्येक टिपर पर निगम करीब 37 हजार रुपए संवेदकों को भुगतान करेगा। प्रत्येक वार्ड पर करीब एक लाख रुपए प्रति माह अतिरिक्त खर्च किए जाएंगे।
बैठक में उठाया था मुद्दा
पार्षदों ने हाल ही हुई कार्य समिति की बैठक में मुद्दा उठाया था कि मोटा बजट खर्च करने के बाद भी शहर में सफाई नहीं दिख रही। टिपर वाले घर-घर कचरा एकत्रित कर वार्ड के खाली भूखण्डों में डाल देते हैं। इससे पार्षदों को लोगों का उलहाना सुनना पड़ता है। वार्ड में टिपर दो पारी में आने चाहिए, लेकिन नहीं आ रहे। टिपर आ रहे हैं या नहीं, इसकी निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
कोई देखने वाला नहीं
महापौर के वार्ड में ही टिपर नहीं आने की लोगों ने लिखित शिकायत की है। उनका कहना है कि शुरुआत में टिपर आया था। पिछले कई दिनों से टिपर नहीं आ रहा। पार्षद पवन अग्रवाल का कहना है कि जब तक निगरानी व्यवस्था पुख्ता नहीं होगी, सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता। पार्षद राममोहन मित्रा का कहना है कि कृषि भूमि की कॉलोनियां दूर-दूर बसी हैं, ऐसे में यहां टिपर कब आता है, कोई देखने की व्यवस्था नहीं है।
सफाई कर्मी भी लगेंगे
निगम के अनुसार टिपर में हैल्पर के साथ एक सफ ाईकर्मी भी लगाया जाएगा। हैल्पर घर से कचरा जमा करेगा। सफ ाईकर्मी रास्ते में पड़ा कचरा और ढेरियां उठाएगा। घर-घर कचरा संग्रहण में डेरे वालों की ओर से आ रही समस्या का भी निराकरण किया जाएगा।
जीपीएस से करेंगे मॉनिटरिंग
महापौर महेश विजय का कहना है कि टिपर की जीपीएस से मॉनिटरिंग शुरू करने की व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही सभी पार्षदों के मोबाइल पर एप डाउनलोड किए जाएंगे, ताकि वह भी टिपर पर पूरी नजर रख सकें।