रामगंजमंडी क्षेत्र में इस बार काफी संख्या में अफीम के पटटे जारी हुए हैं। नारकोटिक्स विभाग ने दो पद्धति से इस बार पटटे का वितरण किया है। ऐेसे किसान जिनका मार्जिन गत वर्ष औसत था उनको चिरणी लगाने की स्वीकृति दी गई है। जो किसान अफीम का औसत गत वर्ष पूरा नहीं कर पाए थे, ऐसे किसानों को सीपीएस योजना में पटटे दिए गए। यह काश्तकार आवंटित आरी के अनुसार खेंतों में अफीम की पैदावार तो कर सकेंगे लेकिन डोडियों में चिरणी लगाकर दूध अफीम, निकालने की इनको स्वीकृत्ति नहीं दी गई है।
सीपीएस योजना के किसानों के खेंतों में नारकोटिक्स विभाग की ओर से चयनित कंपनी के प्रतिनिधि आएंगे। अफीम की डोडियों को जड़ सहित उखाडकऱ ले जाएगे। केन्द्र सरकार के नारकोटिक्स विभाग ने जब पटटे इस प्रणाली से दिए तो पटटेधारियों को कहा था कि एक माह के अंतराल में वह किसानों के खेत से ले जानेवाली अफीम की फसल की राशि का निर्धारण करके उन्हें बताएंग,े लेकिन करीब चार माह होने के बाद भी सरकार की तरफ से ऐसे किसानों की फसल की दर तय नहीं हुई। ऐसे में इन किसानोंं की दिक्तत बढ़ गई है।
सीपीएस योजना के किसानों के खेंतों में नारकोटिक्स विभाग की ओर से चयनित कंपनी के प्रतिनिधि आएंगे। अफीम की डोडियों को जड़ सहित उखाडकऱ ले जाएगे। केन्द्र सरकार के नारकोटिक्स विभाग ने जब पटटे इस प्रणाली से दिए तो पटटेधारियों को कहा था कि एक माह के अंतराल में वह किसानों के खेत से ले जानेवाली अफीम की फसल की राशि का निर्धारण करके उन्हें बताएंग,े लेकिन करीब चार माह होने के बाद भी सरकार की तरफ से ऐसे किसानों की फसल की दर तय नहीं हुई। ऐसे में इन किसानोंं की दिक्तत बढ़ गई है।
पोस्ता किसका तय नहीं सीपीएस योजना से जुड़े किसानों ने बताया कि मार्च माह की शुरुआत में चिरणी का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। योजना में अफीम का पौधा जब उखाडकऱ ले जाया जाएगा तो उसके अंदर का पोस्ता भी विभाग रखेगा या इसको किसान को मिलेगा यह बात भी तय नहीं है। चित्तोड़ जिले के किसानों ने इस मामले में वित्त मंत्री तक अपनी बात पहुंचाई है।
फायदे की फसल अफीम की खेती तीन तरफ से काश्तकारों को फायदा पहुंचाती है। डोडियों मे जो दूध निकलकर अफीम में तब्दील होता है उसको नारकोटिक्स विभाग खरीदता है। केन्द्र सरकार की निर्धारित दर से उसकी राशि किसान को मिलती है। इसके अलावा डोडियों मे आने वाला पोस्तादाना निकालकर मंडी में बेचा जाता है जो काफी महंगा बिकता है। तीसरा फायदा काश्तकारों को अफीम की डोडियों की बिक्री से होता है, जिसको ठेकेदार के माध्यम से खरीदा जाता है।
अब डलेगा खेतों में डेरा फरवरी माह के अंतिम दिनों में पट्टाधारियों के परिवारजनों का जमावड़ा खेतों में जुटना प्रारंभ हो जाएगा। अफीम में चिरणी के समय में किसान परिवार खेत की रखवाली करते हैं। परिवार का भोजन खेत में बनता है। अफीम की डोडियों को नुकसान पहुंचाने वाले पक्षी व तोते डोडियों को नुकसान नहीं पहुंचा सके, इसके लिए बच्चों का समूह उनको उड़ाने में लगा रहता है। यहीं नहीं अफीम में चिरणी लगाने से पहले गणपति की प्रतिमा को खेत मे विराजित किया जाता है। कोई माताजी की प्रतिमा को विराजमान करता है। जिस औजार से अफीम निकाला जाती है उसका पूजन होता है।