वास्तु विज्ञान के अनुसार घर में शिवलिंग की स्थापना नहीं करनी चाहिए क्योंकि शिवलिंग शून्य और वैराग्य का प्रतीक है। इसलिए इसे घर में नहीं रखना चाहिए। अगर आप शिवलिंग रखना चाहते हैं तो पारद का या फिर अंगूठे के आकार का शिवलिंग घर में रख सकते हैं। भगवान शिव के ही एक अन्य रूप हैं भैरव। इनकी मूर्ति भी घर में नहीं रखनी चाहिए। इसका कारण यह है कि भैरव एक तामसिक देवता हैं।
तंत्र मंत्र द्वारा इनकी साधना की जाती है। जबकि पारिवारिक जीवन में सुख शांति और प्रेम की अपेक्षा की जाती है। इसलिए घर में भैरव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। भैरव को प्रसन्न रखने के लिए 8 वर्ष से छोटे बालक को भोजन कराया जाता है। भगवान शिव का एक रूप नटराज का है।
वास्तुविज्ञान के अनुसार नटराज रूप वाली शिव प्रतिमा घर में नहीं होनी चाहिए। इसका कारण यह है कि भगवान शिव जब तांडव नृत्य करते हैं तो विनाश होता है। नटराज रूप में शिव तांडव करते इसलिए इन्हें घर में नहीं लाएं।शनि ग्रह की शांति के लिए शनि की पूजा आराधना की सलाह ज्योतिषशास्त्र देता है लेकिन इन्हें घर में लाने की सलाह ज्योतिषशास्त्र भी नहीं देता है।
शनि महाराज एकांत, विरह, उदासीनता और वैराग के देवता माने जाते हैं। जबकि गृहस्थी को चलाने के लिए राग, प्रेम एवं भौतिक चीजों की जरुरत होती है। इसलिए शनि महाराज की मूर्तियों को घर में नहीं लाना चाहिए। राहु की शांति के लिए ज्योतिषशास्त्र में राहु की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
लेकिन राहु की मूर्ति घर में लाने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि राहु एक छाया ग्रह होने के साथ ही साथ पाप ग्रह भी है। यह मूल रूप से एक असुर है। इनकी पूजा इन्हें घर परिवार से दूर रखने के लिए की जाती है। केतु भी उसी प्रकार का ग्रह है जैसा राहु क्योंकि दोनों ही एक असुर के शरीर से उत्पन्न हुए हैं।
इसे भी छाया ग्रह और पाप ग्रह के रूप में बताया गया है। इसलिए केतु की प्रतिमा भी घर में नहीं लानी चाहिए। घर में देवी देवताओं की कैसी प्रतिमा होनी चाहिए इस विषय में वास्तु विज्ञान का यह कहना है कि सौम्य रूप वाली मूर्ति होनी चाहिए। देवी की कालरात्रि स्वरूप वाली मूर्ति उग्र रूप और विध्वंश का प्रतीक है इसलिए इस रूप में देवी मूर्ति घर में नहीं रखी जाती है।
हालांकि कालरात्रि देवी भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करने वाली हैं। यह अपने अराधक को भौतिक सुख से लेकर मोक्ष तक प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। इसलिए साधक देवी काली रूप में इनकी मूर्ति स्थापित करके पूजा करते हैं।