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नया अस्पताल लेकिन मशीनों में बैट्री पुरानी

locationकोटाPublished: Jul 09, 2019 07:23:53 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

अधिक दामों में निजी अस्पताल में जाकर करवानी पड़ी जांचे।

new government hospitals but old batteries in machines

नया अस्पताल लेकिन मशीनों में बैट्री पुरानी

कोटा. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में अगर बिजली गुल हो जाए तो मरीज़ो के लिए ज़रूरी एमआरआई व सिटी स्कैन तक नहीं हो सकती। सोमवार को भी यही हुआ, अस्पताल की बार-बार बिजली गुल होने से यह दोनों जांचे ठप हो गयी और मरीज परेशान रहे। मजबूरन निजी अस्पताल में जाकर अधिक दाम देकर मरीज़ो को यह जांचें करवानी पड़ी।
एमआरआई व सीटी स्कैन मशीनों के चलाने के लिए यूपीएस में भारी भरकम बैट्रिया लगती है। वर्तनाम में लगी बैट्रिया कई साल पुरानी है, जो लोड नहीं उठा पा रही है।
एमआरआई मशीन के लिए 34 बैट्रिया खरीदनी है। इसकी एक बैट्री ही करीब सात से आठ लाख रूपए की आती है। यही नहीं सीटी स्कैन के लिए भी बैट्रिया खरीदनी थी। रेडियोलोजी विभाग करीब दस माह से अस्पताल प्रशासन को नई बैट्रियों की खरीद के लिए के लिए पत्र लिख रहा है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
रोज़ाना 25 से 30 जांचे:
अस्पताल में रोज़ाना 25 से 30 एमआरईआई व सीटी स्कैन मरीज़ों की होती है। एमआरआई जांच के लिए यहां 2500 से 4 हज़ार रूपए तक लगते है। वहीँ 1 हज़ार में सिटी स्कैन होती है। यदि मरीज बाहर दोनों जांच करवाता है तो दोगुनी राशि वहन करनी पड़ती है।

चार साल पुरानी बैट्रिया:
एमआरआई व सीटी स्कैन में चार साल पुरानी बैट्रियां लगी है। इसकी 24 से 30 माह की गारंटी पीरियड होती है , लेकिन उसके बाद उनकी नयी खरीद होती है। पुरानी बैट्रियां लोड नहीं उठा पा रही है। जबकि मेडिकेयर रिलीफ सोसाइटी से ही इसकी खरीद हो सकती है।

डॉ.सीएस सुशील (अधीक्षक, नए अस्पताल) का कहना है कि, “यूपीएस के लिए पावर बैट्रीयां खरीदी थी लेकिन उसके बाद खरीद नहीं हुई। इसे फाइल में ले रखा था, क्यों नहीं खरीदी गयी पता नहीं। अब मैंने अलप कालीन निविदा के माध्यम से बैट्रियां लेखा विभाग को खरीद के आदेश दिए हैं “
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