आईएल की जमीन पर आवासीय और व्यवसायिक योजना विकसित करने के बावजूद यूआईटी के हाथ में सिर्फ इससे होने वाली कमाई का ३० फीसदी हिस्सा ही आता, लेकिन प्रदूषण की शक्ल में शहरवासियों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती। वह भी तब जब प्रदूषण की भयावहता के चलते कोटा के माथे पर देश के ५८वें और राज्य के चौथे सबसे दूषित शहर का दाग लग चुका था, लेकिन ऑक्सीजोन बनने के बाद शहर की शक्ल सूरत ही बदल जाएगी। शहर में ऑक्सीजन की प्राकृतिक फैक्ट्री स्थापित होने के साथ ही राजस्थान को पहली पिकॉक सेंचुरी के साथ-साथ पहला ऑक्सीजोन और देश को पहला ट्रिपल डाइमेंशनल जॉगिंग ट्रेक भी मिल जाएगा।
सीएमडी के बंगले और उसके आसपास के इलाके की १५ एकड़ जमीन पर ऑॅक्सीजोन का पहला हिस्सा विकसित किया जाएगा। इस जोन में ५.५ किमी के तीन अलग-अलग वॉकिंग, रनिंग और साइकलिंग ट्रैक डवलप किए जाएंगे। यह देश का पहला ट्रिपल डाइमेंशनल जॉगिंग ट्रेक होगा। इसके साथ ही जोन एक में सीएमडी, डायरेक्टर और आईएल के आला अधिकारियों के लिए के लिए बनाए गए टाइप ६ के दो और टाइप ५ के १२ बंगलों को रीडिजाइन करके मेडिटेशन सेंटर, योगा सेंटर, नेचुरोपैथी सेंटर, सेमी ओपन एग्जिबिशन स्पेस, प्लाजा और रिहेबिलेशन सेंटर विकसित किया जाएगा।
ऑक्सीजोन की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए आवासीय कॉलोनी की चारदीवारी की मरम्मत कराई जाएगी। जिसके बाद उसके ऊपर करीब डेढ़ मीटर ऊंची फेंसिंग कराई जाएगी। जिसे मजबूती देने के लिए हर सवा मीटर की दूरी पर50 एमएम के लोहे के पिलर लगाए जाएंगे। पूरे जोन में 27 सिक्योरिटी गार्ड रूम होंगे। सुरक्षा के साथ ही सुविधाओं का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। ऑक्सीजोन में आने वालों के लिए तीन हाईटेक टॉयलेट ब्लॉक, दीवारों पर मनोहारी चित्रकारी, बैठने के लिए ईको बेंच, कियोस्क और हर सौ मीटर पर कूड़ेदान का इंतजाम भी किया जाएगा। दो साइकिल शेयरिंग सेंटर भी बनाए जाएंगे। जहां लोग किराए पर साइकिल लेकर पूरा ऑक्सीजोन घूम सकेंगे।
टाउनशिप एरिया : 128.5 एकड़ फैक्ट्री एरिया : 53.5 एकड़
सरकार ने देनदारी की माफ: १136 करोड़ रुपए नया मालिकाना हक: नगर विकास न्यास कोटा
स्मार्ट सिटी का जिक्र छिड़ते ही इन्फ्रास्ट्रक्चर के डवलपमेंट की बात शुरु हो जाती है, लेकिन जब तक वातावरण स्वच्छ नहीं होगा तब तक कोई शहर स्मार्ट नहीं बन सकता। राजस्थान पत्रिका को बधाई कि रायपुर के ऑक्सीजोन को उदाहरण बनाकर कोटा में भी ऑक्सीजोन स्थापित करने का अभियान चलाया। सरकार एवं प्रशासन भी बधाई के पात्र हैं जो उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझते हुए सकारात्मक निर्णय किया। अगले पांच साल में निश्चित ही कोटा की शक्ल और सूरत बदल जाएगी। वायु प्रदूषण के साथ-साथ भूजल के स्तर में भी बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। कोटा के लोगों को भी बधाई जो इस अभियान का हिस्सा बने। रायपुर जिला प्रशासन की ओर से में आश्वासन देना चाहता हूं कि कोटा में ऑक्सीजोन की स्थापना करने के लिए उन्हें हमसे किसी भी तरह की कोई मदद चाहिए होगी तो पूरा साथ देंगे।
ओम प्रकाश चौधरी, जिला कलक्टर, रायपुर
पत्रिका मुहिम के बिना संभव न था
राजस्थान पत्रिका के अभियान शुरू करने के बाद मैंने आईएल की आवासीय कॉलोनी में ऑक्सीजोन विकसित करने की मांग विधानसभा से लेकर यूआईटी चेयरमैन और स्मार्ट सिटी के सीईओ जिला कलक्टर तक उठाई थी। स्मार्ट सिटी योजना में इस बाबत प्रस्ताव पारित कर शहर को बहुत बड़ी सौगात दी गई है। राजस्थान पत्रिका की मुहिम के बिना यह संभव नहीं हो सकता था। ऑक्सीजोन से पूरा शहर लाभान्वित होगा।
– संदीप शर्मा, विधायक
पत्रिका की बदौलत मिला ‘वरदान’
देश में अभी तक सड़क, पानी और संस्थागत विकास या फिर सरकारी योजनाओं के विरोध में ही जनआंदोलन होते आए हैं, लेकिन जब राजस्थान पत्रिका ने पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाई तो लोगों के सोचने का नजरिया बदला। लोग न सिर्फ आईएल की हरियाली और मोरों को बचाने के लिए सोचने लगे, बल्कि सरकार और प्रशासन को भी इस बाबत गंभीरता से निर्णय लेना पड़ा। ऑक्सीजोन कोटा के लिए वरदान साबित होगा।
डॉ. सुधीर गुप्ता, संयोजक, हमलोग
आईएल के मोरों और पेड़ों की जिंदगी पर जब संकट आया तो सिर्फ राजस्थान पत्रिका ने ही इन्हें बचाने के लिए आवाज उठाई। आईएल की जमीन हस्तांतरित होने से पहले ही यूआईटी ने जरा से फायदे के लिए यहां मल्टीस्टोरी बनाने का प्रस्ताव बना डाला था, लेकिन राजस्थान पत्रिका का ही अभियान था जिसकी वजह से वन्यजीव, जंगल और जमीन बच सकी है। तमाम कठिनाइयों के बाद भी पत्रिका ने मुहिम जारी रखी और पूरे शहर को इससे जोड़ा, इसके लिए पत्रिका को साधुवाद।
देवव्रत सिंह हाड़ा, संयोजक, पगमार्क फाउंडेशन
पत्रिका ने दिया ऑक्सीजोन कंसेप्ट
आईएल की जमीन पर नई-नई योजनाएं बनाए जाने की खबर से कोटा के लोग निराश थे, लेकिन राजस्थान पत्रिका ने ऑक्सीजोन का प्रस्ताव रख न सिर्फ कोटा वासियों में नई उम्मीद जगाई, बल्कि उन्हें मोर और पेड़ों को बचाने का रास्ता भी दिखाया। पत्रिका से पहले किसी को ऑक्सीजोन का कंसेप्ट तक पता नहीं था, लेकिन अब यह ख्वाब भी पूरा होने जा रहा है। बधाई पत्रिका।
हरमीत सिंह, पक्षी प्रेमी
आईएल के पेड़ ही नए कोटा की सांसों में प्राणवायु भर रहे थे, लेकिन जब इन्हें काटकर यहां आवासीय और व्यावसायिक भवनों के निर्माण के प्रस्ताव सामने आए तो राजस्थान पत्रिका ने ही लोगों को हरियाली की कीमत समझा उसे बचाने के लिए जागरुक किया। सामाजिक सरोकार को निभाने का इससे बड़ा उदाहरण अखबारी जगत में दूसरा कोई नहीं हो सकता। इसके लिए पत्रिका का कोटि-कोटि आभार।
-डॉ. कपिल देव शर्मा, पूर्व प्राचार्य, कॉमर्स कॉलेज
पत्रिका ने ही बचाया ‘भविष्य’
शहर की सांसों में जहर घोलने से रोकने की जिम्मेदारी जिन लोगों के पास थी वे आईएल के बिकने की खबरें आते ही मुनाफा कमाने की कोशिशों में जुट गए। एक-एक आदमी ने तीन-तीन प्रस्ताव बना डाले, लेकिन राजस्थान पत्रिका ने इन सबको पीछे धकेल आम जनता को उसका भविष्य बचाने के लिए एकजुट किया और आईएल में ऑक्सीजोन विकसित करने का प्रस्ताव रख नई संभावनाओं का रास्ता दिखाया। इस सफलता का श्रेय पत्रिका को जाता है बधाई।
राजेश जैन धनैक्या, सदस्य, आईएल जॉगर्स क्लब