कोर्ट ने इन आत्महत्याओं के मामले में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोश्यल साइंसेज के सुझावों पर विचार करने को कहा है। कोर्ट ने आदेश दिया कि कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं को रोकने के लिए लीगल फ्रेमवर्क बनाया जाना चाहिए, लेकिन यह किस तरह हो और क्या प्रावधान हों इसके लिए उच्च स्तरीय टास्क फोर्स बनाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि टास्क फोर्स में महाधिवक्ता एम एस सिंघवी, न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोश्यल साइंसेज प्रतिनिधि, समाजशास्त्री, शिक्षाविद्, कोचिंग सेंटर प्रतिनिधि व बाल अधिकार कार्यकर्ता को शामिल किया जाए।
जिला स्तर पर बन चुकी है गाइड लाइन कोटा. शहर में कोचिंग संस्थानों में पढऩे वाले विद्यार्थियों में तनाव और आत्महत्या के मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने कोचिंग और हॉस्टल के लिए गाइड लाइन बनाई थी। तीन साल से गाइडलाइन की पालना के लिए प्रशासन कार्य कर रहा है, लेकिन तनाव रोकने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। जब कोई मामला सामने आता है तभी गाइड लाइन याद आती है। गाइड लाइन के अनुसार, कोचिंग संस्थानों को विद्यार्थियों की सही काउंसलिंग करने के साथ तनाव मुक्त रखने की गतिविधियां आयोजित करने की हिदायत दी जाती रही है।
गत वर्ष 18 कोचिंग विद्यार्थियों ने दी जान कोटा में वर्ष 2018 में 18 कोचिंग विद्यार्थियों ने आत्महत्या की, जबकि इस वर्ष गुजरे तीन माह में दो कोचिंग छात्रों की जान चुकी है। इसमें अधिकांश मामलों में विद्यार्थियों पर पढ़ाई के दबाव के चलते या डिपे्रशन में आकर अपनी जान दे दी।