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अफसरों की नजरों से ओझल बाघ, चिंता में वन विभाग

locationकोटाPublished: Jan 22, 2019 01:24:26 am

Submitted by:

Dhitendra Kumar

जंगल में लगाए कैमरों में भी उसकी कोई गतिविधि दर्ज नहीं हुई। इससे वन विभाग चिंतित है। हालांकि टोलियां ट्रेकिंग में जुटी हैं।

kota

अफसरों की नजरों से ओझल बाघ, चिंता में वन विभाग

कोटा.

रणथंभौर से निकल कर बूंदी जिले से होते हुए कोटा जिले के बूढ़ादीत क्षेत्र में आए बाघ का दो दिनों से कोई मूवमेन्ट नजर नहीं आ रहा है। जंगल में लगाए कैमरों में भी उसकी कोई गतिविधि दर्ज नहीं हुई। इससे वन विभाग चिंतित है। हालांकि टोलियां ट्रेकिंग में जुटी हैं। शनिवार रात्रि को महराना गांव में एनिकट के पास बाघ के पगमार्क मिले थे। इसके बाद वन विभाग की टीमेंं लगातार ट्रेकिंग कर रही हैं, लेकिन बाघ की मौजूदगी का पता नहीं चला। वनविभाग, घडियाल अभयारण्य व रणथंभौर के दो दर्जन से अधिक सदस्यों की टीमों ने महराना, निमली, मण्डावरा, झोटोली सहित अन्य स्थलों को चिन्हित कर अलग-अलग हिस्सों में बाघ की तलाश में गई, लेकिन सोमवार शाम तक सफलता नहीं मिली।
टे्रकिंग में परेशानी
दो दिन से पगमार्क नहीं मिलने से ट्रेकिंग में जुटी वन विभाग की टोलियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जंगल घना व लंबा होने से टोलियां सुबह 6 बजे से देर शाम तक अनुमान के आधार पर ही जंगल को छानती रही। रणथंभौर से आई टोली ने पुराने पगमार्क के आधार पर स्थान बदल-बदल कर तीन -चार स्थलों पर कैमरे लगाए, लेकिन इनमें बाघ की कोई गतिविधि कैद नहीं हुई और न ही दो दिन से बाघ की मौजूदगी के कोई संकेत मिले।
नए सिरे से होगी ट्रेकिंग
– सुल्तानपुर रेंजर रघुवीर मीणा का कहना है कि सोमवार को बाघ के बारे में कोई सूचना नहीं मिली। टीमों की संख्या में इजाफा कर पुराने पगमार्क को आधार मानकर नए सिरे से ट्रेकिंग करवाई जाएगी। ताकि बाघ की वास्तविक लोकेशन मिल सके। इधर, उपवन संरक्षक कोटा जोधराजसिंह हाड़ा ने बताया कि नियमित ट्रेकिंग करवाई जा रही है। संभवत: मण्डावरा से महराना के बीच जंगल में ही बाघ है। यदि वह आगे बढ़ता तो सूचना जरूर मिलती। नदी व जंगल के बीच गुजर रहे खाळ को पॉइंट मानकर तलाश की जाएगी।
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