करीब तेरह वर्ष पूर्व यहां जनसहयोग से दो चबूतरे मय तीन शेड बनाए गए थे। इसी दौरान चारदीवारी का निर्माण भी हुआ। एक सामाजिक संगठन ने रखरखाव व देखरेख का जिम्मा लिया था। संगठन कार्यकर्ता प्रात: मुक्तिधाम में श्रमदान करते देखे भी गए। उन्होंने पेड़-पौधे विकसित किए। इस बीच कुछ लोगों ने विरोध शुरू किया तो संगठन ने कार्य करना बन्द कर दिया। उसके बाद से यहां किसी ने सुध नहीं ली।
ग्राम पंचायत की अनदेखी के चलते अब हालत यह कि सफाई कर्मचारी कस्बे का एकत्र कचरा मुक्तिधाम परिसर में ढेर कर रहे हैं। इससे मुक्तिधाम में मवेशी विचरण करते रहते हैं। कई लोग मुक्तिधाम परिसर को ‘खुले में शौचÓ स्थल के रूप में काम में ले रहे हैं।
चारदीवारी ढही
मुक्तिधाम की करीब 100 फीट चारदीवारी ढहे एक वर्ष बीत गया लेकिन उसकी किसी ने सुध नहीं ली। गत वर्ष ताकली नदी में आए उफान में यह चारदीवारी ढही थी। एक भामाशाह ने मुक्तिधाम में बैठने के लिए एक लाख रुपए की बैंचें लगवाई थी। इहें भी सीसी रोड निर्माण के दौरान ठेकेदार ने दबा दी। अब इनका कोई उपयोग नहीं हो रहा।
इस बारे में वर्तमान सरपंच अमित नावरिया कहते हैं कि मुक्तिधाम के लिए पंचायत के इस कार्यकाल में कोई बजट नहीं आया है। ग्राम पंचायत में इसका प्रस्ताव लिया हुआ है लेकिन विकास अधिकारी द्वारा प्रस्ताव का अनुमोदन नहीं करने से स्वीकृति नहीं आई। सफाई कर्मचारियों को पाबंद कर दिया जाएगा कि यहां कचरा नहीं डालें।