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मुक्तिधामों पर खत्म होने आया लकड़ी का स्टॉक, अब मृतक के परिजनों को करनी पड़ेगी व्यवस्था

कोटा. लॉक डाउन का असर पर शहर में मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार पर भी पडऩे वाला है। शहर के अधिकांश मुक्तिधामों के बाहर लगी लकड़ी की टालों पर लकडिय़ों का स्टॉक खत्म होने को है। शहर की आरा मशीनें व परिवहन बंद होने साथ ही मजदूरों के चले जाने से इसका असर शहर के मुक्तिधामों में दो-तीन दिन में दिखने लगेगा।

कोटाMar 29, 2020 / 09:07 am

Haboo Lal Sharma

electrical crematorium

electrical crematorium

कोटा. लॉक डाउन का असर पर शहर में मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार पर भी पडऩे वाला है। शहर के अधिकांश मुक्तिधामों के बाहर लगी लकड़ी की टालों पर लकडिय़ों का स्टॉक खत्म होने को है। शहर की आरा मशीनें व परिवहन बंद होने साथ ही मजदूरों के चले जाने से इसका असर शहर के मुक्तिधामों में दो-तीन दिन में दिखने लगेगा। शहर में इलेक्ट्रानिक शवदाह गृह भी एक मात्र किशोरपुरा मुक्तिधाम पर है। लेकिन अधिकांश लोग अंतिम संस्कार इलेक्ट्रानिक शवदाह गृह पर नहीं करते। पत्रिका टीम ने शहर के मुक्तिधामों पर जाकर हालात जाने तो यहां आने वाली समस्या का पता चला। टाल संचालकों का कहना था कि इस समस्या पर भी प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
शहर में करीब 15 मुक्तिधाम
शहर में किशोरपुरा, आरकेपुरम, रंगबाड़ी, कंसुआ, छावनी, बोरखेड़ा, रायपुरा, नयापुरा, कुन्हाड़ी, स्टेशन व नांता सहित करीब 15 मुक्तिधाम है। इन मुक्तिधामों पर शवों का अंतिम संस्कार लकडिय़ों से ही किया जाता है। केवल किशोरपुरा में इलेक्ट्रानिक शवदाह गृह है, लेकिन यहां भी अधिकांश लावारिश शवों का ही अंतिम संस्कार किया जाता है। गिने चुने लोग ही यहां अंतिम संस्कार करते है।
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अथिकांश टॉलों पर स्टॉक दो से पांच दिन का
किशोरपुरा मुक्तिधाम के बाहर दो लकडिय़ों की टाले लगी हुई है। टाल मालिक प्रभूलाल मेघवाल ने बताया कि जनता कफ्र्यू के दिन से ही लकडिय़ां नहीं मिल पा रही। मजदूर भी चले गए। इस मुक्तिधाम पर रोजना करीब 4 से 5 शव आते है, कभी कभार 10-12 भी आ जाते है। एक शव के अंतिम संस्कार के लिए चार से पांच क्विंटल लकडिय़ों की जरूरत पड़ती है। इस हिसाब से टाल पर केवल दो दिन का स्टॉक है। अगर शवों की संख्या ज्यादा हो जाए तो फिर एक ही दिन काम चल पाएगा। इसी तरह सुभाषनगर मुक्तिधाम पर टाल मालिक सन्नी डागर ने बताया कि यहां रोजाना 1 से 2 शव अंतिम संस्कार के लिए आते है। यहां पर केवल पांच दिन का स्टॉक है। शहर के अन्य मुक्तिधामों पर 21 दिन के लॉक डाउन से पहले ही स्टॉक खत्म हो जाएगा।
परिजनों को ही करना पड़ेगा इंतजाम
टाल संचालकों का कहना था कि जब तक हमारे पास लकडिय़ों का स्टॉक है जब तक तो कई समस्या नहीं है। लेकिन इसके बाद मुक्तिधामों में लकडिय़ों की व्यवस्था अंतिम संस्कार करने वालों को स्वयं ही करनी पड़ेगी। शहर में यह समस्या जल्दी ही आने वाली है। मुक्तिधामों पर आने वाली इस समस्या के लिए प्रशासन को कोई व्यवस्था की तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।

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