यह भी पढ़ें
दहलीज पर खड़ी थी मौत, जैसे ही बाहर निकला तो कुचल गई रोडवेज
एनएसयूआई जिलाध्यक्ष हर्ष मेहरा ने कुलपति से मांग की कि इस लापरवाही के लिए विवि के जो अफसर जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो। विवि प्रशासन दोबारा स्वीमिंग पूल के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे। पूर्व जिलाध्यक्ष श्याम सिंह जादौन ने कहा कि विवि प्रशासन एक ओर तो छात्र नेताओं के दफ्तर बनाने पर पांच करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। अफसरों के लिए कारें खरीदी जा रही हैं। दूसरी ओर आर्थिक तंगी की बात कह कर सरकार से पानी मुहैया कराने के लिए पैसा मांग रहा है।
यह भी पढ़ें
Big News: पीने के लिए नहीं है पानी, राजनीति का अखाड़ा तैयार करने में खर्च कर डाले 5 करोड़
कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने छात्रों को आश्वासन दिया कि 13वीं पंचवर्षीय योजना के तहत यूजीसी से स्वीमिंग पूल का निर्माण करने के लिए दोबारा अनुदान मांगेंगे। प्रदर्शन करने वालों में आशीष शर्मा, विशाल सैनी, लोकेश गौतम और कुशाल पहाडिय़ा आदि छात्रनेता मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें
कड़वा सच: साहब, मदद करने की बजाए लोगों को परेशान कर रही कोटा पुलिस, पोल खुली तो हैरत में पड़ गए अधिकारी
गौरतलब है कि अफसरों की खींचतान का खामियाजा कोटा विश्वविद्यालय की खेल प्रतिभाओं को भुगतना पड़ा। अनुदान जारी करने के ढाई साल बाद विश्वविद्यालय में बनने वाले 8 लेन इंटरनेशनल स्वीमिंग पूल का प्रस्ताव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने खारिज कर दिया। इस पर विश्वविद्यालय ने 62.50 लाख रुपए का अनुदान यूजीसी को वापस लौटा दिया है।
प्रतिभाओं को निखारकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के तैराक तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय ने 2014 में 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत यूजीसी से इस स्वीमिंग पूल निर्माण के लिए 125 लाख रुपए का अनुदान मांगा था। यूजीसी ने जनवरी 2015 में प्रस्ताव मंजूर कर छह महीने में ही स्वीकृत अनुदान की आधी राशि (62.50 लाख रुपए) भी विवि को भेज दी। फिर विवि के संपदा विभाग को स्वीमिंग पूल की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करानी थी, लेकिन आठ महीने तक यह काम नहीं हो सका।