‘शक्तिशाली’ हो गए मच्छर
डेंगू टाइगर मच्छर से फैलता है। इस मच्छर को कोटा का वातावरण इतना रास आ गया है कि सभी मौसम के अनुकूल मच्छर ने खुद को ढाल लिया है। टाइगर मच्छर पर सर्दी-गर्मी-बरसात का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा। हर सीजन में और ‘शक्तिशाली’ तरीके से लोगों को काटकर अपना शिकार बना रहा है।
नाकाफी सरकारी प्रयास
डेंगू रोकथाम को लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से हर साल तमाम प्रयास किए जाते हैं। चिकित्सा विभाग की टीमें विभिन्न क्षेत्रों में जाकर एंटी लार्वा एक्टिविटी करती हैं। खाली भूखण्डों व गड्ढों में एमएलओ का छिड़काव करती हैं। फोङ्क्षगग करवाने के साथ, कूलर-टंकी आदि खाली करवाने के लिए सघन अभियान चलाती हैं, बावजूद इसके टाइगर मच्छर पर पूरी तरह से रोकथाम नहीं लग पा रही है और हर साल मरीजों के बढऩे का सिलसिला जारी है।
2017 में हुई थी करीब 65 मौत, चिकित्सा विभाग ने माना 8
पिछले वर्ष डेंगू रोकथाम में चिकित्सा विभाग व जिला प्रशासन पूरी तरह से विफल रहा था। करीब 65 लोगों की मौत डेंगू से हुई थी, जबकि चिकित्सा विभाग ने केवल 8 लोगों की मौत डेंगू से होना माना था। चिकित्सा विभाग एलाइजा जांच को ही मानता है, जबकि कोटा शहर के सभी प्रमुख अस्पताल में कार्ड टेस्ट कर डेंगू रोगी का उपचार किया गया था।
डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस, स्वाइन फ्लू रोग को सरकार ने अब नोटिफाइबल रोग घोषित किया है। अब सभी चिकित्सा संस्थानों को इन रोगों की जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय को भेजना जरूरी कर दिया है। निजी अस्पतालों को रोगी का नाम, मोबाइल नम्बर, पता सहित कई जानकारियां देनी होंगी। पैथोलॉजिकल लैब, नर्सिंग होम को भी इसके दायरे में लिया गया है। जो संस्थान सूचना नहीं भिजवाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब इन रोगों को काबू करने की जिम्मेदारी सरकार के साथ निजी चिकित्सा संस्थानों की भी होगी।