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राजीवनगर के पास नाले में पांच-छह माह पहले हाइटेंशन लाइन का तार टूटने से एक दर्जनों मवेशियों की मौत हो गई थी। पशुपालकों ने मुआवजे की मांग को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया था। जनप्रतिनिधि भी इनके पक्ष में आ गए और केईडीएल से मुआवजा दिलवाने के बाद ही उन्होंने चैन की सांस ली। नाले में जिस जगह यह हादसा हुआ, वहां पशुपालकों ने पहले से दोगुने पशु बांध रखे हैं। इसी नाले के पास सड़क के दूसरी ओर नाले में दोनों किनारों पर टापरियां बना डाली और नाले के बीच चारे व गोबर के ढेर लगाकर नाले के बहाव को ही बंद कर दिया।
राजीवनगर के पास नाले में पांच-छह माह पहले हाइटेंशन लाइन का तार टूटने से एक दर्जनों मवेशियों की मौत हो गई थी। पशुपालकों ने मुआवजे की मांग को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया था। जनप्रतिनिधि भी इनके पक्ष में आ गए और केईडीएल से मुआवजा दिलवाने के बाद ही उन्होंने चैन की सांस ली। नाले में जिस जगह यह हादसा हुआ, वहां पशुपालकों ने पहले से दोगुने पशु बांध रखे हैं। इसी नाले के पास सड़क के दूसरी ओर नाले में दोनों किनारों पर टापरियां बना डाली और नाले के बीच चारे व गोबर के ढेर लगाकर नाले के बहाव को ही बंद कर दिया।
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शहर में पशुपालकों का आतंक नालों तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने शहर में जगह-जगह खाली पड़ी सरकारी जमीन व नगर विकास न्यास की ओर से विकसित हरितिमा पट्टियों को भी नहीं छोड़ा। पशुपालकों ने हरितिमा पट्टियों की दीवारें व जालियां तोड़कर उनमें तबेले बना दिए। घटोत्कच चौराहा से लेकर गोबरिया बावड़ी जाने वाले मार्ग पर विश्वकर्मा चौराहा तक विकसित सकी गई हरितिमा पट्टी का यही हाल है।
शहर में पशुपालकों का आतंक नालों तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने शहर में जगह-जगह खाली पड़ी सरकारी जमीन व नगर विकास न्यास की ओर से विकसित हरितिमा पट्टियों को भी नहीं छोड़ा। पशुपालकों ने हरितिमा पट्टियों की दीवारें व जालियां तोड़कर उनमें तबेले बना दिए। घटोत्कच चौराहा से लेकर गोबरिया बावड़ी जाने वाले मार्ग पर विश्वकर्मा चौराहा तक विकसित सकी गई हरितिमा पट्टी का यही हाल है।