पड़ौसी पप्पू ने बताया कि हीरालाल व शांति बाई दोनों की तबीयत खराब थी। हीरालाल को 30 अप्रेल को पेट दर्द हुआ तो उसे एक निजी अस्पताल में चिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने इंजेक्शन लगाकर घर पर आराम करने की सलाह दी। तबीयत जब ज्यादा खराब हो गई तो 1 मई को न्यू मेडिकल कॉलेज लेकर गए। वहां आक्सीजन की कमी बताकर भर्ती नहीं किया। परिजनों ने अस्पताल के बाहर खड़ी एम्बुलेंस से हीरालाल के ऑक्सीजन लगवाई। उसके बाद उनकी तबीयत में काफी सुधार हो गया और परिजन घर लेकर आ गए। इसके बाद दोनों ने रविवार सुबह ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। इस बारे में पौते रोहन से सम्पर्क नहीं हो पाया।
पड़ौसियों ने बताया कि दम्पती का बेटा राजेन्द्र बैरवा (45) की 8 साल पहले मौत हो गई थी। परिवार में दम्पती सहित बहू, पोता-पोती सहित 5 लोगों का परिवार था।
पुलिस उपाधीक्षक भगवत सिंह हिंगड़ ने बताया कि जानकारी मिली है कि दोनों पति-पत्नी कोरोना संक्रमित थे और होम आइसोलेट थे। परिजनों ने बातचीत में बताया कि दादा-दादी को यह चिंता थी कि हमारी वजह से पोते को कोरोना नहीं हो जाए, इसके चलते दोनों ने घरवालों को बिना बताए आज सुबह ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी।