दिल्ली की टीम ने किया कोटा ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए
सर्वे, जल्द मिलगी खुशखबरी एमबीएस चिकित्सालय में फस्र्ट गे्रड कंपाउन्डर देवेन्द्र कुमार भाटिया का बेटा युवराज उर्फ निक्की करीब 9 वर्ष पहले बिना बताए घर छोड़कर चला गया। युवराज 9वीं कक्षा में दो बार फेल होने के बाद अचानक 18 जून 2010 को घर से कहीं चला गया। तब उसकी उम्र लगभग 20 वर्ष रही होगी। देवेन्द्र कुमार (59) व उनकी पत्नी इन्द्रा भाटिया (53) ने तब उसे तलाशने की हर तरह की कोशिशें की। पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाने से लेकर पुलिस अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के अलावा विभिन्न मंदिरों के देवरे ढोके, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा।
सर्वे, जल्द मिलगी खुशखबरी एमबीएस चिकित्सालय में फस्र्ट गे्रड कंपाउन्डर देवेन्द्र कुमार भाटिया का बेटा युवराज उर्फ निक्की करीब 9 वर्ष पहले बिना बताए घर छोड़कर चला गया। युवराज 9वीं कक्षा में दो बार फेल होने के बाद अचानक 18 जून 2010 को घर से कहीं चला गया। तब उसकी उम्र लगभग 20 वर्ष रही होगी। देवेन्द्र कुमार (59) व उनकी पत्नी इन्द्रा भाटिया (53) ने तब उसे तलाशने की हर तरह की कोशिशें की। पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाने से लेकर पुलिस अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के अलावा विभिन्न मंदिरों के देवरे ढोके, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा।
हाथ में फोटो लेकर घूमते हैं.. दम्पती 9 वर्ष बीतने के बाद भी अपने बेटे को तलाश रहे हैं। हाथों में फोटो लिए कोटा समेत विभिन्न शहरों में लोगों से अपने बेटे के बारे में पूछते फिरते हंै। रिश्तेदारों समेत हर संभव स्थान पर तलाशा, लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। पिता देवेंद्र कुमार बताते हैं कि युवराज उनका इकलौता पुत्र है, जो नाराज होकर घर छोड़ गया। पता नहीं वह जिंदा भी है या नहीं, लेकिन एक उम्मीद लिए जी रहे हैं कि वह मिल जाए।
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छान मारी दिल्ली बेटे के गुम होने के बाद उन्हें 15 अगस्त 2010 को दिल्ली की जामा मस्जिद क्षेत्र में फलों का ठेला लगाने वाले एक दुकानदार का फोन उनके मोबाइल पर आया था। जिसमें उन्होंने उनके बेटे के दिल्ली में होने की बात कही। इस पर वे तुरंत दिल्ली पहुंचे, लेकिन तब तक उनका बेटा वहां से जा चुका था। उसके मिलने की आस में उन्होंने दिल्ली के कोने-कोने में उसकी तलाश की, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा।
छान मारी दिल्ली बेटे के गुम होने के बाद उन्हें 15 अगस्त 2010 को दिल्ली की जामा मस्जिद क्षेत्र में फलों का ठेला लगाने वाले एक दुकानदार का फोन उनके मोबाइल पर आया था। जिसमें उन्होंने उनके बेटे के दिल्ली में होने की बात कही। इस पर वे तुरंत दिल्ली पहुंचे, लेकिन तब तक उनका बेटा वहां से जा चुका था। उसके मिलने की आस में उन्होंने दिल्ली के कोने-कोने में उसकी तलाश की, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा।