प्रवीण ने जैसे ही आरपीएफ और रेलवे अधिकारियों को इसकी सूचना दी तो आरपीएफ के जवान कोरोना मरीज के ट्रेन में होने की समझे। इस पर सभी मौके पर पहुंचे और मामले को समझा। इसके बाद कोच में से सेम्पल को उतारा।
स्टेशन अधीक्षक शराफत अली ने बताया कि इस तरह से कोरोना के सेम्पल पैसेंजर ट्रेन में भेजना काफी खतरनाक और लापरवाही है। इसके संबंध में कोटा पत्र लिखेंगे। जिससे लोगों की जान पर संकट न आए।
प्रवीण ने बताया कि वह कोरोना मरीजों के बीच काम कर चुका है। ऐसे में सभी सेम्पल में से एलिकोट कर हाइली पॉजिटिव सेम्पल चुने जाते हैं। जिन्हें जयपुर ओमीक्रोन, एल्फा या डेल्टा की जांच के लिए भेजा जाता है। इन्हें पैसेंजर ट्रेन में भेजना भी एक बड़ी लापरवाही है।
जिस थर्माकोल के डिब्बे में सेम्पल भेजे जा रहे थे, वह भी साधारण टेप से बंद किए हुए थे। जिसके खुलने का भी भय था।