मध्यप्रदेश के खंडवा में अप्रेल 2011 में हुए दंगे के तार कोटा से जुड़े होने की सूचना पर वहां की पुलिस ने बंगाली कॉलोनी स्थित छापाखाने पर छापा मारा था। यहां से पुलिस ने विज्ञान नगर निवासी मोहम्मद अब्दुल नईम (एम.ए. नईम) को गिरफ्तार किया था। उसने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि उसने विवादित पुस्तक तहरीक ए मिल्लत को मकबरा क्षेत्र में बेचा है।
इस सूचना पर मकबरा थाने के तत्कालीन थानाधिकारी रामजीलाल चौधरी ने 1 मई 2011 को चंद्रघटा निवासी अमानुल्ला खां के मकान पर छापा मारकर वहां से विवादित पुस्तक की 168 प्रतियां जब्त की थी।
इस विवादित पुस्तक को प्रकाशित कर बाजार में बेचने के मामले में पुलिस ने अमानुल्ला खां, एम.ए. नईम व मोहम्मद जफर को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मुकदमा दर्ज किया था।
करीब 11 साल चली सुनवाई के बाद एसीजेएम क्रम दो अदालत की न्यायिक अधिकारी पूनम शर्मा ने एम.ए. नईम को दोषी मानते हुए 3 साल कैद की सजा व 10 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया है, जबकि अमानुल्ला खां व जफर मोहम्मद को दोषमुक्त कर दिया।