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पहले अतिवृष्टि और बाद में कोरोना की वजह से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में मुआवजे के मरहम के इंतजार में किसान सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण मुआवजा मिलने की उम्मीद कम दिखाई दे रही है। 2019 में अतिवृष्टि के बाद नष्ट हुई खरीफ फसल मुआवजे के लिए बारां जिले को लगभग 146 करोड़ रुपए मिले थे। जिसके लिए किसानों द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन तहसील कार्यालय में जमा कराए। पटवारियों ने इन्हें समय पर डीएमआईएस पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। यही कारण है कि क्षेत्र के 196 गांवों के लगभग 40 हजार किसानों में से मात्र 13270 किसानों का ही डाटा पटवारियों द्वारा पोर्टल पर अपलोड किया गया है । अपलोड की धीमी गति की वजह से ही मार्च 2020 तक छबड़ा क्षेत्र के मात्र 796 किसान ही मुआवजा पाने में सफल रहे। इन्हें मुआवजे के रूप में 61 लाख 39 हजार 744 रुपए का भुगतान हुआ है। शेष किसान आज भी मुआवजे की राह तक रहे हैं।
पहले अतिवृष्टि और बाद में कोरोना की वजह से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में मुआवजे के मरहम के इंतजार में किसान सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण मुआवजा मिलने की उम्मीद कम दिखाई दे रही है। 2019 में अतिवृष्टि के बाद नष्ट हुई खरीफ फसल मुआवजे के लिए बारां जिले को लगभग 146 करोड़ रुपए मिले थे। जिसके लिए किसानों द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन तहसील कार्यालय में जमा कराए। पटवारियों ने इन्हें समय पर डीएमआईएस पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। यही कारण है कि क्षेत्र के 196 गांवों के लगभग 40 हजार किसानों में से मात्र 13270 किसानों का ही डाटा पटवारियों द्वारा पोर्टल पर अपलोड किया गया है । अपलोड की धीमी गति की वजह से ही मार्च 2020 तक छबड़ा क्षेत्र के मात्र 796 किसान ही मुआवजा पाने में सफल रहे। इन्हें मुआवजे के रूप में 61 लाख 39 हजार 744 रुपए का भुगतान हुआ है। शेष किसान आज भी मुआवजे की राह तक रहे हैं।
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24 जून को कार्यालय जिला कलेक्टर (सहायता) ने तहसील को पत्र लिखकर डीएमआईएस पोर्टल पर किसानों का डाटा समय पर अपलोड करने एवं मुआवजे के भुगतान की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2020 निर्धारित करने का पत्र लिखा है। इसके बाद क्षेत्र के शेष किसानों को मुआवजा मिलने को लेकर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं। तहसीलदार दिलीप सिंह प्रजापति ने बतायाकि पटवारियों द्वारा किसानों का डाटा ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने में देरी की गई है। प्रयास कर ज्यादा से ज्यादा किसानों का डाटा अब अपलोड कराया जा रहा है, पूरी कोशिश रहेगी कि 31 जुलाई के पहले पूरा डाटा पोर्टल पर अपलोड हो जाए।
24 जून को कार्यालय जिला कलेक्टर (सहायता) ने तहसील को पत्र लिखकर डीएमआईएस पोर्टल पर किसानों का डाटा समय पर अपलोड करने एवं मुआवजे के भुगतान की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2020 निर्धारित करने का पत्र लिखा है। इसके बाद क्षेत्र के शेष किसानों को मुआवजा मिलने को लेकर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं। तहसीलदार दिलीप सिंह प्रजापति ने बतायाकि पटवारियों द्वारा किसानों का डाटा ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने में देरी की गई है। प्रयास कर ज्यादा से ज्यादा किसानों का डाटा अब अपलोड कराया जा रहा है, पूरी कोशिश रहेगी कि 31 जुलाई के पहले पूरा डाटा पोर्टल पर अपलोड हो जाए।
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खरीफ फसल मुआवजे की तरह ही गत वर्ष अतिवृष्टि के बाद तहसील प्रशासन ने छबड़ा क्षेत्र के ग्रामीण व शहरी इलाके में अतिवृष्टि से गिरे कच्चे व पक्के मकानों का सर्वे कराया था। ग्रामीण क्षेत्र में 466 एवं कस्बे में 45 मकानों के गिरने के आवेदन मिले थे। इन आवेदनों को पटवारियों द्वारा डीएमआईएस पोर्टल पर अपलोड किया जाना था। प्रभावितों को 3200 रुपए प्रति मकान मुआवजा मिलना था। तहसील सूत्रों के अनुसार इस मद में सरकार से भी प्रशासन को बजट नहीं मिला और न ही कर्मचारियों द्वारा इन्हें पोर्टल पर अपलोड किया गया।
खरीफ फसल मुआवजे की तरह ही गत वर्ष अतिवृष्टि के बाद तहसील प्रशासन ने छबड़ा क्षेत्र के ग्रामीण व शहरी इलाके में अतिवृष्टि से गिरे कच्चे व पक्के मकानों का सर्वे कराया था। ग्रामीण क्षेत्र में 466 एवं कस्बे में 45 मकानों के गिरने के आवेदन मिले थे। इन आवेदनों को पटवारियों द्वारा डीएमआईएस पोर्टल पर अपलोड किया जाना था। प्रभावितों को 3200 रुपए प्रति मकान मुआवजा मिलना था। तहसील सूत्रों के अनुसार इस मद में सरकार से भी प्रशासन को बजट नहीं मिला और न ही कर्मचारियों द्वारा इन्हें पोर्टल पर अपलोड किया गया।