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Opinion: ये विकास किसे चाहिए

locationकोटाPublished: Mar 17, 2018 02:35:11 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

आईएल की जमीन पर मॉडल टाउनशिप विकसित की जाएगी। पांच हजार पेड़ काट कर, पांच सौ से अधिक मोरों को उजाड़ कर सीमेंट का जंगल खड़ा किया जाएगा।

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कोटा .

दुनिया में अगर कहीं स्वर्ग है तो वह स्लोगन में ही है और कहीं नहीं। स्वर्ग की तुलना प्रकृति से की जाती रही है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुछ अफसरों ने कमाल का काम किया और इमारतें गिरा कर जंगल सफारी तैयार कर दी। कोटा में भी काम हो रहा है, लेकिन उसके उलट।
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यहां आईएल की जमीन पर मॉडल टाउनशिप विकसित की जाएगी। यानी पांच हजार पेड़ काट कर, पांच सौ से अधिक मोरों को उजाड़ कर सीमेंट का जंगल खड़ा किया जाएगा। वृक्ष नए कोटा की जरूरत हैं। यहां वैसे ही हरियाली का टोटा है। वृक्षों की संख्या कम है। कभी किसी ने इस बारे में ध्यान ही नहीं दिया। नगर विकास न्यास और आवासन मंडल ने अपनी कॉलोनियों में पार्क के लिए जगह जरूर छोड़ी, लेकिन वहां पार्क विकसित नहीं किए। नतीजा कहीं धार्मिक स्थल बन गए। कहीं अतिक्रमण हो गया। जहां यह सब नहीं हो सका। वहां कचरा पाइंट विकसित हो गए। इन जमीनों पर सब कुछ हुआ, बस पेड़ नहीं लगे। शहर के विस्तार के बाद आईएल की जमीन बरसों से निगाह में आ गई थी।
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पहले आईएल ने ही अपना कर्ज चुकाने के लिए जमीन बेची, जहां राजीव नगर विकसित हुआ। जहां इमारतों के अलावा कुछ नहीं। अब चूना नोंचते-नोंचते दीवार ही गिराने की तैयारी है। किसी को आईएल की जमीन पर मिनी सचिवालय नजर आने लगा है और किसी को कॉलोनी। यहां पांच सौ से अधिक मोर हैं, उनका भविष्य क्या होगा। शहर के लोगों के अलावा कोई इस मामले पर बोलने को तैयार भी नहीं है।

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वन विभाग की स्थिति यह है कि वन विभाग वहां भी है, जहां वन नहीं है। आंवली रोजड़ी इसका उदाहरण है। जहां देखते ही देखते वन भूमि पर पूरी बस्ती बस गई। फिर आईएल को ऑक्सीजोन बनाने, वहां के वृक्षों और मोरों को बचाने के लिए कौन बोलेगा। नेताओं की बात मत कहिए। वे उद्घाटन तो पौधारोपण का करते हैं और समापन जंगलों का हो जाता है। इसलिए अब शहर के लोगों को ही बोलना होगा। उनके हक, सेहत और भविष्य का सवाल है।
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