scriptखुद के बोझ से झुक रही हमारी रीढ़ | Our spine lying on our own burden | Patrika News

खुद के बोझ से झुक रही हमारी रीढ़

locationकोटाPublished: Nov 13, 2018 05:45:57 pm

Submitted by:

Deepak Sharma

बडी संख्या में पहुच रहे रोगी, कमर, पैरों में खतरनाक बीमारी

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cartoon Our spine lying on our own burden

कोटा। हमारे खुद के बोझ से हमारी रीढ़ झुक रही है। बीमार हो रही है। बीमारी भी ऐसी जिससे हमारी दिनचर्या बिगड रही है। समस्या महिलाओं में अधिक है। वे अधिक परेशान हैं। महिला रोगियों की संख्या पुरूष रोगियों की तुलना में दुगुनी है। कोटा के अस्पतालों में रोजाना ऐसे पांच से छह नए रोगी उपचार के लिए पहुंच रहे हैं, जिनकी रीढ़ की हड्डी में समस्या के कारण उनके रोजमर्रा के कामकाज बाधित हो रहे हैं।न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक वधवा के अनुसार उनके पास ऐसे एक दो रोगी रोजाना आ रहे हैं। जिनमें मोटापे की वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी पर इतना अधिक बोझ आ गया है कि वह बीमार हो रही है।बीएमआई के तीस से अधिक होने पर हमारे ही वजन का जोर हमारी रीढ़ की हड्डी पर आने लगता है। मोटापा छह से सात साल तक रहने पर रीढ़ की हड्डी पर जोर पडऩे लगता है। इससे रीढ़ की हड्डी के बीच लगी ***** बाहर आने लगती है। वह सीधी सपाट हो जाती है और इसका दबाव स्पाइनल काड पर पडने लगता है। बीमारी शुरू होने के दो से तीन साल में सही उपचार होने पर यह ठीक हो सकती है,लेकिन इसके बाद इसके ठीक होने के संभावना काफी कम हो जाती है। इससे कमर में दर्द, कमर से पैरों में दर्द,सुन्नपन आना, पैरों में कमजोरी आ जाती है। अधिक बीमारी बढऩे पर थोड़ा चलने पर भी समस्या होने लगती है। मल-मूत्र पर खुद का नियंत्रण खत्म होजाता है। सामान्यत: इस बीमारी की जानकारी नहीं होने से लोग यह नहीं समझ पाते कि यह सब मोटापे के
कारण हो रहा है।
महिलाएं बच कर रहें

महिलाओं में अधिक पुरूषों की तुलना में महिलाओं में यह बीमारी अधिक है। जितने रोगी मोटापे के कारण रीढ़ की बीमारियों के आते हैं, उनमें महिलाओं की तुलना में पुरूष रोगियों की संख्या आधी होती है। महिलाओं में कैल्सियम की कमी की समस्या रहती है। ऐसे में वजन बढऩे पर उनकी हड्डियां दबाव नहीं झेल पाती हैं और जल्दी बीमारी हो जाती हैं। दीपक वाधवा, न्यूरोसर्जन।
चीनी खाना बंद कर दें
खाने पर नियंत्रण रखेंअधिक वजन का कारण हमारा खानपान भी है। जंकफूड और मीठे का उपयोग काफी बढ़ गया है। मीठे के हम आदी हो चुके हैं। बच्चे भी मोबाइल और टीवी अथवा पढ़ाई में व्यस्त हो गए हैं। शारीरिक श्रम कम होने से मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। यह कई बीमारियों का कारण है, हमें खाने पीने पर नियंत्रण करना होगा। वजन को कम करने का काम हर व्यक्ति को अभियान की तरह पूरा करना चाहिए। मीठा और जंक फूड बंद कर दें। यह काफी उपयोगी है। डॉ. मनोज सलूजा, फिजीशियन।
आठ हजार कैलौरी यानी एक किलो वजन
आठ हजार कैलौरी की वृद्धि होने पर हमारा एक किलो वजन बढ़ जाता है। गुलाब जामुन,कचौरी,70 ग्राम नमकीन में चार सौ से पांच सौ कैलौरी होती है। गेंहूं सूजी, मैदा, नूडल्स सिवैया का उपयोग कम से कम करें। मक्का ज्वार अधिक खाएं,राजमा दाल पनीर और अंकुरित अनाज अधिक खाएं, इससे वजन कम कर सकते हैं। मोटापा अनेक बीमारियों का कारण है। यह सबसे खतरनाक है। इससे भी बचाव ही उपचार है।
डॉ. साकेत गोयल, कार्डियोलॉजिस्ट
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