वहीं बारां के तत्कालीन कलक्टर इन्द्र सिंह के पीए महावीर नागर करोड़पति निकला। उसके पास बारां में रिद्धिका कॉलोनी में करीब 70 लाख रुपए का आवास है। बारां जिला मुख्यालय पर रिश्तेदारों के नाम से खरीदे गए सात प्लाट के कागजात भी मिले हैं। भूखण्डों की कीमत भी 70 से 80 करोड़ रुपए के आसपास है। वहीं उसके पास दो ट्रैक्टर व एक कार है।
इसके अलावा 150 बीघा से अधिक जमीन है। पांच साल पहले 20 बीघा जमीन खरीदी थी। आठ बैंक खातों की पासबुक मिली हैं। इनमें दो उसके तथा छह उसके रिश्तेदारों के नाम है और उसका एक लॉकर मिला है।
उधर, एसीबी टीम ने जिला कलक्टर कार्यालय समेत राजस्व शाखा से करीब आधा दर्जन ऐसे दस्तावेज जुटाए, जो इस मामले की जांच को गति देने के साथ कुछ अन्य मामलों के भी महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित हो सकते हैं।
एसीबी कोटा के एएसपी ठाकुर चंद्रशील ने बताया कि लगभग साढ़े 11 घंटे चली जांच के दौरान कलक्टर इन्द्रसिंह राव ने कई सवालों के जवाब नहीं दिए। कई सवालों पर वे टालमटोल करते नजर आए। इस दौरान उनके कार्यालय कक्ष, पीए कक्ष व राजस्व शाखा में कई फाइलों को खंगाला गया। इनमें से उन फाइलों को कब्जे में लिया है, जिससे रिश्वत के मामले की जांच को सही व ठोस दिशा मिल सके। उन्होंने बताया कि आरम्भिक जांच में कलक्टर की संलिप्तता सामने आ गई। अब रिपोर्ट दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। कलक्टर के पीए महावीर नागर को गिरफ्तार कर लिया है। कोटा में शाम को एसीबी कोर्ट के न्यायाधीश के निवास पर पेश किया गया। जहां से 24 दिसम्बर तक न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है।
जिला कलक्टर के पीए महावीर नागर को 1.40 लाख रुपए की रिश्वत के साथ रंगे हाथ पकडऩे की रणनीति बनाने व इसका पटाक्षेप करने में एसीबी को तीन दिन लगे। सत्यापन से ट्रैप तक के दौर में जिला कलक्टर ने परिवादी गोविंद सिंह से नपे-तुले शब्दों में बातचीत की। सत्यापन के दौरान जिला कलक्टर राव ने उनके प्रतीक्षा कक्ष में बैठे परिवादी को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भेज कर बुलाया तो ट्रैप की कार्रवाई के दौरान उसे पहले नाम की पर्ची लिखवाई। इसके थोड़ी ही देर बाद परिवादी को अपने कक्ष में बुलवाया। जिला कलक्टर ऐसे मामलों में परिवादियों से इतना ही कहते थे कि आपका काम कर दिया है, पीए से मिल लो। इतना कहने के साथ वे परिवादियों को रवाना करने में देर नहीं लगाते थे।
साढ़े 11 घंटे चली कार्रवाई कोटा एसीबी टीम बुधवार शाम करीब 5 बजे परिवादी अटरू निवासी गोविंद सिंह के साथ जिला कलक्ट्रेट पहुंची थी। इसके करीब एक घंटे बाद ट्रैप की कार्रवाई हुई, लेकिन इस बीच परिवादी ने पहले जिला कलक्टर के पीए नागर व बाद में जिला कलक्टर से बातचीत की थी। जिला कलक्टर राव ने ही उसे काम होने की जानकारी देकर पीए के पास पेट्रोल पम्प से पत्रावली लेने के लिए भेजा था, जबकि परिवादी से पीए नागर ने 1.40 लाख रुपए पहले ही ले लिए थे। परिवादी 2.40 लाख रुपए लेेकर गया था, शेष एक लाख परिवादी के पास ही थे, जिन्हें एसीबी की टीम ने लिया था। एसीबी टीम गहन पूछताछ व मुख्यालय के निर्देश के बाद तडक़े 4.30 बजे जिला कलक्ट्रेट से पीए नागर को लेकर कोटा के लिए रवाना हो गई, जबकि जिला कलक्टर राव को बारां में ही छोड़ दिया।