scriptसावधान ! युवाओं के दिमाग पर मौसम कर रहा सर्दीकल स्ट्राइक | Paralysis and brain stroke disease in winter | Patrika News

सावधान ! युवाओं के दिमाग पर मौसम कर रहा सर्दीकल स्ट्राइक

locationकोटाPublished: Jan 18, 2020 05:35:18 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

20 से 40 की उम्र तक के युवा हो रहे शिकार

सावधान ! युवाओं के दिमाग पर मौसम कर रहा सर्दीकल स्ट्राइक

सावधान ! युवाओं के दिमाग पर मौसम कर रहा सर्दीकल स्ट्राइक

कोटा . सामान्यत: लकवे और ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी बुढ़ापे का मर्ज मानी जाती है, लेकिन तेज सर्दी ने युवाओं के दिमाग पर भी गहरा वार किया है। 30 प्रतिशत तक युवा ब्रेन स्ट्रोक के शिकार हो रहे हंै। इनमें 20 से 40 उम्र तक के युवा शामिल हैं। इन दिनों काफी तेज सर्दी पड़ रही है और अनेक युवा ब्रेन स्ट्रोक की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि इसमें समस्या यह है कि शुरुआती लक्षण होने के बाद भी कोई भी पीडि़त यह समझ ही नहीं पाता कि उसे ब्रेन स्ट्रोक हुआ है। इसलिए उसे अस्पताल में आने में देरी हो जाती है। ऐसे अधिकांश युवकों को पूरी तरह से स्वस्थ्य होने में छह महीने अथवा इससे अधिक समय लग सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि जिन युवाओं में इस बीमारी के दूसरे कारण अधिक हैं।
वे ही इसके अधिक शिकार हो रहे हैं। लकवे और बीमारी से पीडि़त होकर जो भी युवक आ रहे हैं। उनमें धूम्रपान, मोटापा जैसे लक्षण भी पाए गए। आरामदायक जीवनशैली भी इसमें कारण पाई गई।

कोटा के विनोद (35) का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ गया। इतना बढ़ा कि वह बेहोश हो गया। उसके शरीर ने काम करना बंद कर दिया। बेहोशी की हालात में परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। बाद में उसे पता चला है कि उसे ब्रेन हेमरेज हुआ। देरी होने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका।

रामगंजमंडी निवासी रामेश्वर (30) के उच्च ब्लड प्रेशर होने से दिमाग पर असर पड़ा। उसके हाथ-पैरों ने भी काम करना बंद कर दिया और लकवा हो गया। हालांकि उसका समय रहते उपचार होने से वह बच गया। इसी तरह से नयागांव निवासी महेन्द्र (25) अचानक बेहोश हुआ और उसे ब्रेन हेमरेज हो गया।
ऐसे होती है बीमारी
ब्लड वेंस में सिकुडऩ या क्लॉटिंग (नलियों में वसा का जमना) के कारण दिमाग में ब्लड का प्रवाह कम हो जाता है। जब दिमाग के भीतर धमनियां फट जाती हंै तो इसे ब्रेन हेमरेज कहते हैं। ब्रेन स्ट्रोक के तीन घंटे अहम होते हैं। इस दौरान मरीज को सही इलाज मिलने पर रिकवरी जल्दी होती है। इलाज में देरी से जान जाने का खतरा भी होता है।
अगर ऐसे लक्षण नजर आएं तो हरकत में आएं
शरीर के आधे हिस्से में कमजोरी होना।
द्सु न्नपन या कमजोरी का महसूस होना।
द्आवाज में तुतलाहट या बंद हो जाना।
सिर में तेज दर्द, उल्टी, चक्कर आना, बेहोशी।
आंखों से धुंधला नजर आने की शिकायत
दिल के पुराने रोगियों पर अधिक खतरा
तेज सर्दी में हृदय रोगी भी बढ़ जाते हैं। इस बार यह देखा गया कि अस्पताल पहुंचने वाले रोगियों में अधिक संख्या पुराने हृदय रोगियों की रही। ऐसे लोग जिनमें अधिकांश बुजुर्ग होते हैं। वे सर्दी के प्रति थोड़ी लापरवाही बरतते हैं। सर्दी को खाने-पीने का मौसम माना जाता है। ऐसे में पहले से बीमार लोग भी खानपान में लापरवाही कर जाते हैं। इससे डायबिटीज बढ़ जाती है। यह खतरनाक होती है। इसके अलावा पुराने रोगी सर्दी से भी उतना बचाव नहीं करते है, जितनी उन्हें जरूरत होती है। इससे वे बीमार हो जाते हैं।
ऐसे अनेक मामले भी देखे गए हैं, जिनमें एक ही व्यक्ति को कुछ ही दिनों में दो बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अनेक मामले हार्ट फेल्यौर के भी आ रहे हैं। लोग इसे समझ नहीं पाते हैं। बेहतर है कि तेज सर्दी रहने तक लोग गुनगुने पानी से नहाएं। बुजुर्ग और पुराने हृदय रोगी सावधानी बरतें। धूप निकलने के बाद ही सुबह की सैर के लिए जाएं। अपनी सेहत का ध्यान रखें और स्वास्थ्य में कुछ भी असामान्यत: होने पर तत्काल नजदीक के डॉक्टर को दिखाएंं।
डॉ. राकेश जिंदल, हृदय रोग विशेषज्ञ

सर्दी में ब्रेन हेमरेज के मामले दोगुने हो जाते हैं। 40 से कम उम्र तक 30 प्रतिशत मामले ब्रेन हेमरेज के आ रहे हैं। तनाव व बदलती जीवन शैली के कारण उच्च रक्तचाप हो जाता है। लोग इसे हल्के में ले लेते हैं। स्थिति ब्रेन हेमरेज तक पहुंच जाती है। इससे मौत तक के शिकार हो जाते हैं।
डॉ. दीपक वाधवा, न्यूरो सर्जन

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो